मिसाइल से बंकर फोड़ेगा भारत: अमेरिका को सीधी टक्कर!

नई दिल्ली। भारत की सुरक्षा क्षमताओं में एक बड़ा बदलाव आ रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का एक नया और अत्याधुनिक रूप विकसित कर रहा है, जो देश की रणनीतिक शक्ति को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला है। यह मिसाइल प्रणाली केवल परमाणु हथियार ले जाने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि दुश्मन के भूमिगत और कंक्रीट संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए अत्यंत शक्तिशाली गैर-परमाणु बंकर-भेदी हथियार से भी लैस होगी।

नया रूप: पारंपरिक हथियारों में क्रांति

रिपोर्ट्स के अनुसार अग्नि-5 का नया संस्करण परमाणु हथियार की जगह एक विशाल पारंपरिक बंकर-भेदी बम ले जाएगा, जिसकी वज़न क्षमता 7,500 किलोग्राम तक होगी। यह मिसाइल गहराई में छिपे दुश्मन ठिकानों को निशाना बना सकेगी। अनुमान है कि यह बम ज़मीन में 80 से 100 मीटर तक घुसने के बाद विस्फोट करेगा।

यह क्षमता इसे अमेरिका के GBU-57 "Massive Ordnance Penetrator" (MOP) के समकक्ष बनाती है। अमेरिका ने हाल ही में इसी बम का उपयोग ईरान के परमाणु ठिकानों पर कर के अपनी रणनीतिक बढ़त दिखाई थी। भारत अब इसी राह पर, लेकिन अपनी विशिष्ट रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

मिसाइल बनाम बमवर्षक: भारत की अलग रणनीति

जहां अमेरिका इन भारी बमों को ले जाने के लिए विशेष बमवर्षक विमान (B-2 Spirit जैसे) का उपयोग करता है, वहीं भारत मिसाइल-आधारित प्रणाली पर ज़ोर दे रहा है। यह प्रणाली न केवल अधिक लागत-कुशल है, बल्कि सुरक्षित, तेज़ और दुश्मन के रडार से बच निकलने में अधिक सक्षम भी है। मिसाइल से बंकर-भेदी हमला करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन DRDO की क्षमताएं इसे संभव बना रही हैं।

दो रूप: ज़मीन के ऊपर और अंदर दोनों को निशाना

अग्नि-5 के नए रूपों में से एक हवा में विस्फोटक प्रणाली होगी जो ज़मीन के ऊपर के लक्ष्यों को तबाह करने में सक्षम होगी। वहीं दूसरा संस्करण भूमिगत ठिकानों को भेदने वाला होगा – यह विशेष रूप से गहराई में स्थित सैन्य कमांड सेंटर, हथियार भंडार, और अन्य संरक्षित सुविधाओं को निशाना बनाएगा। हालांकि इन दोनों मिसाइलों की मारक दूरी मूल अग्नि-5 की तुलना में कम (लगभग 2,500 किमी) होगी, लेकिन सटीकता, विस्फोटक क्षमता और रणनीतिक उपयोगिता उन्हें अत्यंत प्रभावशाली बना देती है।

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