क्या होता है सर्किल रेट?
सर्किल रेट वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर किसी क्षेत्र में भूमि या संपत्ति की रजिस्ट्री की जाती है। यह दर राज्य सरकार द्वारा तय की जाती है और समय-समय पर इसका पुनः मूल्यांकन किया जाता है। सर्किल रेट बढ़ने का सीधा असर संपत्ति के क्रय-विक्रय, स्टांप ड्यूटी, और रजिस्ट्री शुल्क पर पड़ता है।
कैसे तय हुईं नई दरें?
रायबरेली में सर्किल रेट को बढ़ाने की प्रक्रिया अप्रैल 2025 में शुरू की गई थी। निबंधन विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में संपत्ति के खरीद-फरोख्त के आधार पर नई दरों का प्रस्ताव तैयार किया। इसके बाद: प्रस्तावित सूची पर आपत्तियाँ मांगी गईं। प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण किया गया। शासन से प्राप्त सुझावों को भी सूची में शामिल किया गया। अंततः नई संशोधित सूची अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अमृता सिंह को भेजी गई, जिनकी मंजूरी के बाद यह सूची डीएम को भेजी जाएगी।
किन क्षेत्रों में होगी अधिक वृद्धि?
निबंधन विभाग का कहना है कि सर्किल रेट उन क्षेत्रों में अधिक बढ़ाए गए हैं जहाँ संपत्ति की खरीद-फरोख्त अधिक हो रही है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि बाजार मूल्य और सरकारी सर्किल रेट के बीच का अंतर कम किया जाए। वहीं, जिन क्षेत्रों में प्रॉपर्टी डीलिंग में कमी देखी गई है, वहाँ दरें यथावत रखी गई हैं।
ग्रामीण बनाम अर्द्ध नगरीय क्षेत्र
निबंधन विभाग ने इस बार छह गांवों को अर्द्ध नगरीय क्षेत्र में शामिल कर लिया था, जिससे वहाँ सर्किल रेट में भारी वृद्धि हो रही थी। लेकिन स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद इन गांवों को पुनः ग्रामीण क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। इससे इन गांवों में सर्किल रेट में अनावश्यक बढ़ोतरी नहीं होगी।
सर्किल रेट बढ़ने से प्रभाव क्या होंगे?
खरीदारों पर असर: रजिस्ट्री के लिए अधिक स्टांप ड्यूटी देनी होगी, जिससे कुल प्रॉपर्टी लागत बढ़ेगी।
राजस्व वृद्धि: सरकार को रजिस्ट्री से अधिक राजस्व मिलेगा।
बाजार मूल्य के करीब: नई दरें प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य के अनुरूप होंगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
प्रॉपर्टी की वैल्यूएशन: बैंक लोन, बीमा आदि के लिए प्रॉपर्टी का मूल्यांकन भी नए सर्किल रेट के आधार पर होगा।
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