परमाणु हमलों की चुनौती
परमाणु हथियारों की शक्ति इतनी अधिक होती है कि अगर एक भी मिसाइल किसी बड़े शहर को निशाना बना ले, तो वह लाखों लोगों की जान और पूरे क्षेत्र की संरचना को तबाह कर सकती है। परमाणु हमले की गति इतनी तीव्र होती है कि प्रतिक्रिया देने के लिए महज कुछ मिनट ही मिलते हैं। यही कारण है कि इनसे सुरक्षा का प्रश्न अत्यंत गंभीर है।
डिफेंस सिस्टम की वर्तमान स्थिति
आधुनिक रक्षा प्रणालियाँ, विशेषकर मिसाइल डिफेंस सिस्टम (जैसे कि अमेरिका का THAAD और Patriot, रूस का S-400, और भारत का विकसित हो रहा Ballistic Missile Defence System) बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम हैं। इन प्रणालियों में रडार, ट्रैकिंग सिस्टम, और इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल होती हैं जो दुश्मन की मिसाइल को रास्ते में ही मार गिराने की कोशिश करती हैं।
क्या परमाणु हमला रोका जा सकता है?
यह सवाल पूरी तरह तकनीकी नहीं है, बल्कि रणनीतिक भी है। डिफेंस सिस्टम कुछ हद तक परमाणु हमलों को रोक सकते हैं, लेकिन 100% सुरक्षा की गारंटी देना कठिन है, खासकर जब कई मिसाइलें एक साथ छोड़ी जाएँ (Multiple Independently-targetable Reentry Vehicles - MIRVs)। इसके अलावा, हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसी नई तकनीकों ने डिफेंस सिस्टम के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
समाधान: तकनीक से आगे सोचने की जरूरत
परमाणु युद्ध कोई सामान्य लड़ाई नहीं, बल्कि मानवता के अस्तित्व पर सीधा खतरा है। डिफेंस सिस्टम एक बचाव की पहली दीवार हो सकते हैं, लेकिन सबसे मजबूत रक्षा कूटनीति, बातचीत और वैश्विक सहयोग है। हथियारों की दौड़ से ज़्यादा ज़रूरी है विश्वास का निर्माण, ताकि परमाणु हमले जैसी स्थिति कभी उत्पन्न ही न हो।
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