तुर्की और अमेरिका के बीच गतिरोध
तुर्की की यह कोशिश अमेरिका और तुर्की के बीच सुरक्षा और तकनीकी विवाद को फिर से हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। एर्दोगन ने कहा कि वे ट्रंप से बातचीत कर चुके हैं और तकनीकी स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है। उन्होंने व्हाइट हाउस से उम्मीद जताई है कि वह तुर्की पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए राजी हो जाएंगे।
भारत समेत चार देशों को क्यों खतरा?
तुर्की का F-35 खरीदना भारत सहित चार देशों के लिए सुरक्षा चुनौती बन सकता है। इनमें इजरायल, ग्रीस, आर्मेनिया और साइप्रस शामिल हैं। ये देश क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता के लिहाज से तुर्की की सैन्य क्षमता बढ़ने से चिंतित हैं। F-35 एक अत्याधुनिक स्टील्थ लड़ाकू विमान है, जो आधुनिक युद्ध में रणनीतिक बढ़त दे सकता है। यदि तुर्की को यह विमान मिलता है, तो यह न केवल नाटो के भीतर सैन्य संतुलन बदल सकता है, बल्कि भारत और उसके मित्र देशों की सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है।
अमेरिका का झुकाव और भारत का F-35 ऑफर
तुर्की की F-35 खरीद की इच्छा तब आई है जब अमेरिका ने भारत को भी इस विमान का अनौपचारिक ऑफर दिया है। भारत भी रूस के S-400 डिफेंस सिस्टम का उपयोग करता है, लेकिन अमेरिका ने अब तक उसकी तरफ से इस मुद्दे पर कोई सख्त रुख नहीं अपनाया है। इससे लगता है कि अमेरिका ने S-400 और F-35 के संयुक्त संचालन को लेकर अपनी चिंताओं को कम किया है। तुर्की इसका लाभ उठाना चाहता हैं।
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