ये है भारत की सबसे खूंखार रेजिमेंट, मौत भी कांपती है

नई दिल्ली: भारत की सबसे खूंखार रेजिमेंट के रूप में गोरखा रेजिमेंट का नाम सबसे पहले आता है। इसकी बहादुरी और युद्ध कौशल के कारण गोरखा रेजिमेंट को भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित और बहादुर रेजिमेंट माना जाता है। गोरखा रेजिमेंट की स्थापना 24 अप्रैल 1815 को ब्रिटिश शासन के दौरान हिमाचल प्रदेश के सुबाथू में गोरखा राइफल्स बटालियन के रूप में की गई थी। आज यह बटालियन भारतीय सेना के एक अहम हिस्सा बन चुकी है और गोरखा राइफल्स के नाम से प्रसिद्ध है।

गोरखा रेजिमेंट का इतिहास बेहद गौरवपूर्ण और संघर्षपूर्ण रहा है। इस रेजिमेंट के सैनिक अपनी वीरता, साहस और निडरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। गोरखा सैनिकों की लड़ाई की शैली और रणनीति बेहद प्रभावशाली मानी जाती है। गोरखा रेजिमेंट को "मौत से खेलने वाली रेजिमेंट" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसके सैनिक युद्ध के मैदान में निडर होकर लड़ते हैं, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो। उनके लिए उनका उद्देश्य देश की रक्षा करना और अपने शहीद साथियों का बदला लेना होता है।

गोरखा सैनिकों की ताकत उनके साहस और प्रतिबद्धता में छिपी है। वे अपनी एकता और समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। गोरखा रेजिमेंट की ताकत न केवल उनके शारीरिक कौशल में, बल्कि मानसिक दृढ़ता में भी निहित है। गोरखा सैनिकों के पास सशस्त्र संघर्ष में अद्वितीय क्षमता होती है, और वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।

बता दें की गोरखा रेजिमेंट का इतिहास भारतीय सेना में एक विशेष स्थान रखता है। ब्रिटिश काल से लेकर आज तक, गोरखा सैनिकों ने हर युद्ध में अपनी वीरता और पराक्रम का परिचय दिया है। चाहे वह भारत-पाक युद्ध हो या कारगिल युद्ध, गोरखा रेजिमेंट के सैनिकों ने अपनी अद्वितीय बहादुरी से भारतीय सेना को गर्व महसूस कराया है।

गोरखा रेजिमेंट का प्रमुख प्रतीक उसकी वीरता और प्रतिष्ठा का प्रतीक है। इस रेजिमेंट के सैनिकों की एकता, साहस और निडरता भारतीय सेना के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। गोरखा रेजिमेंट की उपलब्धियों और उनकी वीरता की कहानियां आज भी भारतीय सेना में एक विशेष स्थान रखती हैं, और यह रेजिमेंट हमेशा भारतीय सैनिकों की बहादुरी और उनके सामर्थ्य का प्रतीक हैं।

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