क्या है स्वघोषणा पत्र?
स्वघोषणा पत्र एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसमें जमीन मालिक अपनी जमीन से जुड़ी जानकारी – जैसे खाता संख्या, खेसरा संख्या, स्वामित्व की स्थिति, भूमि का उपयोग (खेती, आवासीय आदि) – खुद भरकर सरकार को देते हैं। यह प्रक्रिया भूमि सर्वे और निबंधन प्रणाली को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया?
राज्य सरकार ने भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल करने और जमीनी विवादों को कम करने के उद्देश्य से यह पहल शुरू की है। स्वघोषणा पत्र से सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि किसके पास कितनी जमीन है, उसका वर्तमान उपयोग क्या है और वह जमीन किस श्रेणी में आती है।
कैसे भर सकते हैं स्वघोषणा पत्र?
1. ऑनलाइन माध्यम से
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रैयत ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं। इसके लिए जमीन की बुनियादी जानकारी और पहचान दस्तावेजों की स्कैन कॉपी अपलोड करनी होती है।
2. ऑफलाइन माध्यम से
जिन लोगों को ऑनलाइन प्रक्रिया में कठिनाई हो रही है, वे अपने संबंधित अंचल कार्यालय (Circle Office) जाकर या सर्वे शिविर में स्वघोषणा पत्र जमा कर सकते हैं। वहां कर्मचारियों की सहायता से फॉर्म भरवाया जा सकता है।
किन्हें भरना है यह फॉर्म?
यह प्रक्रिया राज्य के हर भूमि मालिक के लिए अनिवार्य है – चाहे वह कृषि भूमि का मालिक हो या आवासीय भूखंड का। यदि कोई रैयत यह फॉर्म नहीं भरता है तो उसकी जमीन को लेकर आगे चलकर अधिकारों को साबित करने में समस्या हो सकती है।
अंतिम तिथि: 15 अप्रैल 2025
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अंतिम मौका है। इसके बाद स्वघोषणा पत्र न भरने वालों पर कार्रवाई की जा सकती है या उनकी जमीन सर्वे प्रक्रिया से बाहर मानी जा सकती है।
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