बिहार में सरकारी जमीन को लेकर 1 बड़ा फैसला!

पटना: बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाते हुए राज्य की सरकारी जमीन पर अवैध रूप से की गई जमाबंदियों को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस निर्णय का उद्देश्य सरकारी संपत्ति की रक्षा करना और उसका उचित उपयोग सुनिश्चित करना है। अब जमाबंदी रद्द करने का अधिकार अंचल अधिकारियों (CO) को सौंपा गया है।

क्या है जमाबंदी?

जमाबंदी भूमि स्वामित्व और कब्जे से जुड़ी एक कानूनी प्रक्रिया होती है, जिसके तहत भूमि का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। यह दस्तावेज़ कृषि भूमि की वैधता और स्वामित्व को दर्शाता है। लेकिन जब यह प्रक्रिया सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कर दी जाती है, तो यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि सरकार की संपत्ति पर एक गैरकानूनी दावा भी बन जाता है।

जमाबंदी रद्द करने की नई प्रक्रिया

1 .पहचान और जांच: यदि किसी लॉक जमाबंदी (बंदी हुई या रिकॉर्ड की गई भूमि) में सरकारी जमीन होने की आशंका है, तो अंचल अधिकारी उसकी जांच करेंगे।

2 .नोटिस और सुनवाई: संबंधित पक्ष को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। यदि जांच में यह प्रमाणित हो जाता है कि जमीन सरकारी है, तो जमाबंदी रद्द कर दी जाएगी।

3 .गलत साबित होने पर रद्दीकरण: अगर जमाबंदी गलत पाई जाती है, तो उसे रद्द कर दिया जाएगा, अन्यथा वह अनलॉक कर वैध मानी जाएगी।

इस फैसले का प्रभाव

1 .भूमि विवादों में कमी आएगी।

2 .भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने में मदद मिलेगी।

3 .सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध हो सकेगी।

4 .आम जनता को सरकारी संसाधनों का बेहतर लाभ मिलेगा।

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