बिहार में जमीन रजिस्ट्री के नए नियम: 22 अप्रैल से लागू!

पटना: बिहार सरकार ने जमीन एवं संपत्ति की रजिस्ट्री प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा की है। 22 अप्रैल 2025 से राज्य के 10 निबंधन कार्यालयों में पेपरलेस निबंधन की शुरुआत की जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत क्रेता और विक्रेता के दस्तावेजों पर अब हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं होगी। उनकी बायोमीट्रिक पहचान को ही डिजिटल सिग्नेचर के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

शुरुआत इन 10 निबंधन कार्यालयों से

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शुरुआत में यह प्रणाली शेखपुरा, जहानाबाद, भोजपुर, सोनपुर (सारण), पातेपुर (वैशाली), बाढ़, फतुहां, संपतचक (पटना), डेहरी (रोहतास) और केसरिया (पूर्वी चंपारण) के निबंधन कार्यालयों में लागू की जाएगी।

निबंधन प्रक्रिया होगी पूरी तरह डिजिटल

नई व्यवस्था के तहत निबंधन की पूरी प्रक्रिया अब कंप्यूटर के माध्यम से होगी। जमीन से जुड़ी सभी जानकारियाँ—जैसे कि विक्रय राशि, भू-खाता संख्या, खरीदार-बेचने वाले की डिटेल्स—कंप्यूटर में दर्ज की जाएंगी। यदि किसी जानकारी में संशोधन करना हो, तो वह तुरंत किया जा सकेगा। क्रेता और विक्रेता चाहें तो दस्तावेज का प्रिंट लेकर उसे जांच सकते हैं।

एक बार संतुष्टि के बाद, सिस्टम में दर्ज जानकारी आगे की प्रक्रिया के लिए स्वतः संबंधित अधिकारियों तक पहुँचा दी जाएगी। इसके बाद आधार नंबर और बायोमीट्रिक डिटेल्स के मिलान के साथ, ओटीपी वेरीफिकेशन के माध्यम से अंतिम पुष्टि की जाएगी।

पारदर्शिता और समय की भी होगी बचत

विभागीय अधिकारियों का मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। कागजी दस्तावेज़ों के झंझट से मुक्ति मिलने के साथ-साथ धोखाधड़ी की संभावनाएँ भी कम होंगी। रजिस्ट्री के बाद एक सॉफ्ट कॉपी क्रेता और विक्रेता को दी जाएगी। सरकार की योजना है कि भविष्य में यह प्रक्रिया भी पूरी तरह डिजिटल कर दी जाए और दस्तावेज़ों का कोई प्रिंट आउट न दिया जाए।

डिजिटल बिहार की ओर एक और कदम

यह पहल बिहार को डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में और मजबूत करती है। संपत्ति निबंधन जैसी जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया को डिजिटल करना राज्य सरकार के ई-गवर्नेंस विजन का अहम हिस्सा है। यह न सिर्फ नागरिकों को सुविधा देगा बल्कि सरकारी प्रणाली को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाएगा।

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