भारत के ये 3 हथियार बदल देंगे युद्ध की परिभाषा

नई दिल्ली: दुनिया की सैन्य ताकतें जहां भविष्य के युद्धों के लिए नई तकनीकों को तेजी से विकसित कर रही हैं, वहीं भारत भी अब सिर्फ पीछे चलने वाला देश नहीं, बल्कि अगुवाई करने वाला बनता जा रहा है। ‘मेड इन इंडिया’ रक्षा तकनीक ने आज उस मुकाम को छू लिया है, जहाँ युद्ध की परिभाषा ही बदलने जा रही है। आने वाले वर्षों में भारत के तीन प्रमुख हथियार – K-6 बैलिस्टिक मिसाइल, DURGA-2 लेज़र वेपन सिस्टम, और ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल – भारतीय रक्षा बलों की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे।

1. K-6 मिसाइल – साइलेंट स्ट्राइक

K-6 एक सबमरीन-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जो भारत की न्यूक्लियर ट्रायड को पूरी तरह संतुलित करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। इसकी मारक क्षमता करीब 8,000 से 10,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जो इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की कैटेगरी में लाता है। K-6 के आने से भारत की सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी और भी मजबूत होगी।

2. DURGA-2 – घातक ‘लेज़र अस्त्र’

DURGA-2 (Directionally Unrestricted Ray-Gun Array) भारत का स्वदेशी लेज़र वेपन सिस्टम है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह हाई-एनर्जी लेज़र हथियार दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल, एयरक्राफ्ट और यहां तक कि सैटेलाइट को भी नष्ट करने में सक्षम होगा। DURGA-2 को भविष्य में भारतीय नौसेना के जहाज़ों, वायुसेना के एयरक्राफ्ट्स और थलसेना के ग्राउंड सिस्टम्स में इंटीग्रेट किया जाएगा। यह हथियार भारत को नेक्स्ट-जेन वॉरफेयर में अग्रणी बनाएगा।

3. ब्रह्मोस-2 – हाइपरसोनिक मिसाइल

ब्रह्मोस-1 पहले ही दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है। लेकिन अब ब्रह्मोस-2, एक हाइपरसोनिक संस्करण के रूप में विकसित की जा रही है, जिसकी स्पीड Mach 8 से Mach 9 तक हो सकती है – यानी आवाज की गति से 8-9 गुना तेज। यह हथियार भारत को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा कर देगा।

0 comments:

Post a Comment