प्राकृतिक खेती का विस्तार
अब तक, उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती का कार्य केवल बुंदेलखंड क्षेत्र तक सीमित था, लेकिन इस वर्ष से इसका दायरा पूरे राज्य में बढ़ा दिया गया है। यह एक बड़ी पहल है, जो न केवल कृषि के पारंपरिक तरीकों को बदलने में मदद करेगी, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देगी। प्राकृतिक खेती के तहत रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कृषि सखियों की नियुक्ति और प्रशिक्षण
कृषि सखियों की नियुक्ति का कार्य जिला स्तर पर गठित निगरानी समितियों द्वारा किया जाएगा। ये कृषि सखियाँ खासतौर पर प्राकृतिक खेती के तरीकों को किसानों तक पहुंचाने का काम करेंगी। उनकी नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया कुछ जिलों में शुरू हो चुकी है। हर क्लस्टर में 2 कृषि सखियों को नियुक्त किया जाएगा। कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने के लिए हर कृषि विज्ञान केंद्र से 2 वैज्ञानिक और 1 तकनीशियन को शामिल किया जाएगा। ये विशेषज्ञ कृषि सखियों और किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ और इसके तरीकों के बारे में प्रशिक्षण देंगे, ताकि वे अपने खेतों में इन तकनीकों को सही ढंग से लागू कर सकें।
क्लस्टर आधारित योजना
इस योजना में कुल 1886 क्लस्टर बनाए गए हैं, जो खासतौर से नदियों के किनारे बसे गांवों में स्थित हैं। इन क्लस्टरों में लगभग 2.35 लाख किसान लाभान्वित होंगे। हर क्लस्टर में कम से कम 125 किसान शामिल किए जाएंगे, और प्रत्येक क्लस्टर में 50 हेक्टेयर जमीन होगी। इस योजना में शामिल किसानों को प्रति वर्ष 4,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा, और 2 साल में उन्हें अधिकतम 8,000 रुपये का अनुदान मिलेगा।
किसानों के लिए लाभकारी योजना
इस योजना का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करना और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसके माध्यम से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। प्राकृतिक खेती की बढ़ती लोकप्रियता से किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने का अवसर मिलेगा, जो लंबे समय में उनके खेतों की उत्पादकता को भी बढ़ावा देगा।
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