गैरमजरूआ जमीन होंगे खाली, बिहार सरकार के नए सर्वे नियम लागू!

पटना। बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेजी से चल रहा है और इसका उद्देश्य है राज्य में ज़मीन से जुड़े वर्षों पुराने विवादों को जड़ से खत्म करना। इस सर्वे के दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा में हैं गैरमजरूआ ज़मीनें, जिनको लेकर आम लोगों के बीच कई तरह की आशंकाएं और सवाल उठ रहे हैं।

बता दें की बिहार सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, गैरमजरूआ ज़मीन को दो श्रेणियों में बांटा गया है – गैरमजरूआ आम और गैरमजरूआ खास। दोनों के नियम अलग हैं और इन्हें जानना ज़रूरी है ताकि आप भ्रम में न रहें।

गैरमजरूआ "आम" जमीन: पूरी तरह सरकारी

गैरमजरूआ आम ज़मीन वे होती हैं जिनका मालिकाना हक राज्य सरकार के पास होता है। ये ज़मीनें सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित होती हैं। अगर किसी व्यक्ति ने गैरमजरूआ आम ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा किया है, तो सर्वे के बाद ऐसे कब्जे हटाए जाएंगे और ज़मीन सरकार को वापस सौंप दी जाएगी।

गैरमजरूआ "खास" जमीन: मालिक का हक कायम

वहीं, अगर आपके पास गैरमजरूआ खास ज़मीन है और आपका नाम खतियान में दर्ज है, तो घबराने की कोई बात नहीं है। इस श्रेणी की ज़मीनों पर व्यक्तिगत मालिकाना हक रहता है और सरकार ऐसी ज़मीनों पर दखल नहीं देती। अगर किसी ने इस ज़मीन पर जबरन कब्जा कर रखा है, तो सर्वे के बाद उसे खाली करवाया जाएगा और असली मालिक को ज़मीन वापस मिल जाएगी। सहायक बंदोबस्त पदाधिकारियों के अनुसार, गैरमजरूआ खास ज़मीन के मालिकों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी, बशर्ते उनके दस्तावेज़ सही हों।

सरकार की मंशा साफ – खत्म हो ज़मीन विवाद

सरकार का स्पष्ट कहना है कि इस भूमि सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य ज़मीन से जुड़े सभी विवादों का समाधान करना है। सर्वे के बाद सभी ज़मीनों का रिकॉर्ड दुरुस्त किया जाएगा, और ज़मीन उसी को दी जाएगी जो उसका असली हकदार है।

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