बिहार के हर जिले में जमीन का रेट तय करेगी सरकार

पटना: बिहार सरकार ने राज्य के विकास कार्यों और केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और विवादमुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब राज्य के प्रत्येक जिले में जमीन का दर (Land Acquisition Rates) तय करने के लिए जिला स्तर पर एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति जमीन की किस्म और प्रकार का निर्धारण भी करेगी, जिससे मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी होगी।

समिति की संरचना

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के आदेशानुसार, प्रत्येक जिले में गठित समिति निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी: अपर समाहर्ता (राजस्व) – समिति के अध्यक्ष होंगे। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी – सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे। जिला अवर निबंधक, उप विकास आयुक्त, भूमि सुधार उप समाहर्ता – वह अधिकारी जिसके क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण हो रहा है।

यह समिति अधिग्रहण की जा रही भूमि की प्राकृतिक स्थिति, भौगोलिक विशेषताएं, बाजार मूल्य, और प्रचलित भूमि दरों को ध्यान में रखते हुए दर तय करेगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भूमि स्वामियों को उचित मुआवजा मिले और सरकारी परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके।

निर्धारण प्रक्रिया में पारदर्शिता और लाभ

इस नई व्यवस्था से भूमि अधिग्रहण से जुड़े कई पुराने मुद्दों जैसे मुआवजे को लेकर विवाद, ज़मीन की गलत श्रेणीकरण, और स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने की उम्मीद है। साथ ही, विकास योजनाओं को गति मिलेगी क्योंकि भूमि अधिग्रहण के मामलों में अनावश्यक देरी से परियोजनाएं प्रभावित होती थीं।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर समिति के गठन और उसकी कार्यशैली के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकार की मंशा स्पष्ट है – भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को अधिक जनहितैषी, न्यायसंगत और पारदर्शी बनाना।

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