वर्तमान परमाणु पनडुब्बी बेड़ा
भारत के पास इस समय दो सक्रिय परमाणु पनडुब्बियाँ हैं: भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) जिसे 2016 में कमीशन किया गया था। जबकि आईएनएस अरिघात (INS Arighat) दूसरी परमाणु पनडुब्बी है जो परीक्षण और संचालन के अंतिम चरणों में है।
अब S4 और S4 Star जैसी उन्नत पनडुब्बियों के परीक्षण की खबरों ने साफ कर दिया है कि भारत परमाणु पनडुब्बियों की संख्या को लेकर बेहद गंभीर है। भारत का परमाणु पनडुब्बियों की दिशा में बढ़ता कदम न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2030 तक का लक्ष्य
भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक कुल 24 पनडुब्बियाँ शामिल की जाएं, जिनमें: 18 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ, 6 परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बियाँ (SSBN और SSN दोनों) हो। यह रणनीति भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनाए रखने में मदद करेगी और चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों पर संतुलन बनाए रखेगी।
क्यों चिंतित है चीन?
चीन पहले ही दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में अपने सैन्य ठिकानों और जहाजों की उपस्थिति को मजबूत कर रहा है। भारत द्वारा लगातार अपने सामरिक संसाधनों में इज़ाफा करना चीन के लिए एक चेतावनी संकेत है, खासकर जब बात परमाणु पनडुब्बियों की आती है, जो किसी भी देश की "न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता"को सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
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