काशी विद्वत परिषद का पहल
मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने 'एक तिथि, एक त्योहार' के इस नए नियम का खाका तैयार किया है। इस पंचांग को पूरी राज्य की धार्मिक कैलेंडर प्रणाली के रूप में लागू किया जाएगा। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार, इस पहल को लागू करने के लिए प्रदेश के प्रमुख पंचांगकारों की टीम बनाई गई है। उनके साथ मिलकर काशी के विद्वानों ने तिथि, पर्व और त्योहारों का निर्धारण किया है, ताकि एकजुटता बनी रहे और एक समय में एक ही तिथि पर सभी लोग एक ही त्योहार मनाएं।
काशी के पंचांगों में एकरूपता
यह पहली बार होगा जब काशी के सभी प्रमुख पंचांगों में एकरूपता लाई जाएगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), काशी विद्वत परिषद, और काशी के विभिन्न पंचांगकारों के सहयोग से अब काशी के पंचांगों में कोई भेदभाव नहीं होगा। पिछले तीन वर्षों से इस पर काम चल रहा था, और अब यह कार्य पूरा हो चुका है। काशी के पंचांगों में शामिल होने वाले प्रमुख पंचांगों में बीएचयू से बनने वाला विश्वपंचांग, ऋषिकेश, महावीर, गणेश आपा, आदित्य और ठाकुर प्रसाद के पंचांग शामिल हैं।
एक तिथि, एक त्योहार की अवधारणा
2026 में आने वाले नवसंवत्सर में, काशी विद्वत परिषद द्वारा तैयार किए गए इस पंचांग का लोकार्पण किया जाएगा। इसे उत्तर प्रदेश के सभी निवासियों के लिए एक अद्वितीय और समान तिथि प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके द्वारा, प्रदेश के सभी प्रमुख पर्व और तिथियां एक साथ तय की जाएंगी, जिससे हर जगह एक समान तिथि पर त्योहार मनाए जाएंगे। इससे न केवल तिथियों का एकरूपता स्थापित होगी, बल्कि समाज के बीच होने वाला भ्रम भी समाप्त हो जाएगा।
त्योहारों के बीच होने वाले भेद का निवारण
इस एकतंत्रित पंचांग के लागू होने से, प्रदेश में विभिन्न त्योहारों और व्रतों के बीच होने वाले अंतर को समाप्त किया जाएगा। उदाहरण के लिए, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, श्रावणी, जन्माष्टमी, पितृपक्ष, महालया, विजयादशमी, दीपावली, अन्नकूट, नरक चतुर्दशी, भैया दूज, धनतेरस, कार्तिक एकादशी, देवदीपावली, शरद पूर्णिमा, सूर्य षष्ठी, खिचड़ी और होली जैसे प्रमुख पर्वों में होने वाले भेद समाप्त हो जाएंगे। इससे समाज में एकजुटता आएगी और धार्मिक दृष्टिकोण से लोगों को सही दिशा मिलेगी।
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