बता दें की इस नए नियम के तहत, संपत्ति के बंटवारे को कानूनी रूप से रजिस्टर्ड करवाने के लिए अब महज 100 रुपये का स्टांप शुल्क देना होगा, जबकि पहले यह शुल्क काफी ज्यादा हुआ करता था। इस कदम का उद्देश्य संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया को सरल और सस्ता बनाना है, ताकि परिवारों के बीच संपत्ति को लेकर होने वाले झगड़ों में कमी आए।
नया नियम: क्या है इसे लागू करने की प्रक्रिया?
बिहार सरकार के इस नए नियम के तहत, परिवार की संपत्ति का बंटवारा करने के लिए अब आपको एक विशेष प्रक्रिया से गुजरना होगा। हालांकि यह प्रक्रिया पहले की तुलना में बहुत सरल और कम खर्चीली है, लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी कदम उठाने होते हैं।
1 .पारिवारिक सदस्यता सूची बनवाना: सबसे पहला कदम होता है परिवार के सभी सदस्यों की सूची बनवाना। इसे पारिवारिक सदस्यता सूची कहा जाता है। इस सूची को बनाने के लिए आपको सर्किल ऑफिसर (सीओ) के कार्यालय से आवेदन करना होता है। आवेदन के बाद, राजस्व कर्मचारी आपके आवेदन की जांच करेंगे और फिर उस सूची को मंजूरी देंगे। यह सूची बंटवारे के लिए आवश्यक है, क्योंकि बिना इसे प्राप्त किए रजिस्ट्री ऑफिस संपत्ति के बंटवारे की रजिस्ट्री नहीं करेगा।
2 .रजिस्ट्री के लिए स्टांप पेपर की खरीदारी: पारिवारिक सदस्यता सूची मिलने के बाद, आपको रजिस्ट्री ऑफिस जाना होगा। वहां आपको 100 रुपये का स्टांप पेपर खरीदना होगा। इस स्टांप पेपर पर बंटवारे का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा। यह दस्तावेज संपत्ति के बंटवारे को कानूनी रूप से मान्य बना देता है।
3 .कागजातों की जांच और रजिस्टर में दर्जीकरण: स्टांप पेपर पर बंटवारे का विवरण लिखने के बाद, रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारी आपके सभी कागजातों की जांच करेंगे। इस जांच के बाद, बंटवारे का विवरण रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा, और इस प्रकार संपत्ति का बंटवारा कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त कर लेगा।
सरकार का उद्देश्य
नीतीश सरकार का यह निर्णय बिहार के परिवारों के बीच संपत्ति विवादों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पहले, संपत्ति के बंटवारे को लेकर अधिक शुल्क, समय और कागजी कार्यवाही की वजह से लोग इससे बचते थे, जिससे विवादों का समाधान नहीं हो पाता था। अब 100 रुपये का स्टांप शुल्क केवल वित्तीय बोझ को कम नहीं करता, बल्कि यह प्रक्रिया को भी तेज और पारदर्शी बनाता है। इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि संपत्ति के बंटवारे को लेकर होने वाले झगड़ों में भी कमी आएगी और परिवारों में बेहतर समन्वय और समझ बनेगी।
0 comments:
Post a Comment