राफेल की ताकत, अब समंदर में भी भारत के साथ!

नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच 28 अप्रैल को होने वाला रक्षा सौदा भारत की समुद्री ताकत को एक नई दिशा देने जा रहा है। इस ऐतिहासिक सौदे के तहत भारत को 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमान मिलेंगे, जिससे भारतीय नौसेना की रणनीतिक शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा। यह सौदा लगभग 63,000 करोड़ रुपये का है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

सौदे का महत्व

भारत की सुरक्षा नीति और सामरिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, राफेल-मरीन जेट्स की यह डील बहुत महत्वपूर्ण है। यह सौदा भारतीय नौसेना के लिए एक प्रमुख रक्षा उपकरण साबित होगा, जो समुद्र और हवाई दोनों मोर्चों पर काम करने में सक्षम होगा। राफेल-मैरीन विमानों की मदद से भारतीय नौसेना के पास अब उच्चतम तकनीकी क्षमता वाले लड़ाकू विमान होंगे, जो समुद्र के ऊपर हवा से हवाई हमलों को अंजाम देने, दुश्मन की नकल करने और भारतीय जल सीमा की रक्षा करने के लिए अत्याधुनिक होंगे।

फ्रांसीसी रक्षा मंत्री की भारत यात्रा

फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू 28 अप्रैल को इस सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत आएंगे। यह कार्यक्रम रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय, दक्षिण ब्लॉक में आयोजित किया जाएगा, और इस दौरान दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर फ्रांस और भारत के बीच सामरिक और रक्षा संबंधों को और भी मजबूत बनाने का यह एक बड़ा कदम होगा।

भारत का रक्षा क्षेत्र: बढ़ती ताकत

भारत की सुरक्षा नीति को बढ़ावा देने के लिए यह सौदा अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय नौसेना की ताकत को और मजबूत बनाने के लिए राफेल-मरीन जेट्स की खरीदी एक शानदार कदम है। इससे भारतीय नौसेना की एयर-सी डॉमिनेंस में वृद्धि होगी और समुद्र के रास्तों की सुरक्षा को लेकर देश की क्षमता में महत्वपूर्ण इजाफा होगा। राफेल-मैरीन जेट्स की मदद से भारतीय नौसेना समुद्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार होगी, चाहे वह दुश्मन के हमले हो, समुद्र में आतंकवाद से निपटना हो, या समुद्र के महत्वपूर्ण मार्गों की सुरक्षा हो।

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