गायब खतियान और स्कैनिंग प्रक्रिया पर प्रभाव
खतियान भूमि के अभिलेख होते हैं, जो जमीन के मालिकाना हक, उपयोग, और अन्य कानूनी जानकारियों का प्रमाण होते हैं। इन अभिलेखों के बिना भूमि संबंधी किसी भी प्रक्रिया को पूरा करना संभव नहीं होता। मुजफ्फरपुर जिले के 11 अंचलों के 40 गांवों का खतियान गायब हो चुका है, जिससे स्कैनिंग का कार्य रुक गया है। यह स्कैनिंग प्रक्रिया राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा की जा रही थी, जिसे एमएस कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था। लेकिन खतियान के गायब होने से यह कार्य प्रभावी ढंग से जारी नहीं रह पा रहा है।
कागजात और अभिलेखों की सुरक्षा पर सवाल
विभागीय सूत्रों के अनुसार, खतियान के गायब होने के पीछे एक और गंभीर आशंका व्यक्त की जा रही है—कागजात से छेड़छाड़। यह संभावना है कि इन अभिलेखों में जानबूझकर बदलाव या गड़बड़ी की गई हो, या फिर खराब रखरखाव के कारण यह अभिलेख नष्ट हो गए हों। यदि यह सच है, तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भू-धारी और आम जनता के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन सकता है।
विभागीय कार्रवाई और समाधान की दिशा
इस मामले में विभागीय सचिव ने तुरंत संज्ञान लिया है और समाहर्ता को निर्देश दिया है कि गायब खतियान को शीघ्रता से खोजा जाए और एजेंसी को उपलब्ध कराया जाए। यह कदम राहत देने वाला हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य भूमि अभिलेखों की सही स्थिति को बहाल करना और भविष्य में ऐसे मामलों से बचाव के लिए ठोस कदम उठाना है।
इसके अतिरिक्त, यह समय है कि प्रशासन भूमि अभिलेखागार के रखरखाव के लिए कड़े दिशा-निर्देशों को लागू करें। सभी अभिलेखों का नियमित रूप से निरीक्षण और संरक्षण किया जाए ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही या छेड़छाड़ को रोका जा सके। डिजिटलाइजेशन के जरिए इन अभिलेखों को सुरक्षित और अधिक पहुंच योग्य बनाना भी एक कारगर उपाय हो सकता है।
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