बिहार में पहले चरण में खुलेंगे 50 उप डाकघर
नई योजना के अंतर्गत राज्यभर में उप डाकघरों की संख्या चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जाएगी। पहले चरण में, वित्तीय वर्ष 2025 में 50 नए उप डाकघर खोले जाएंगे। इनका चयन उन इलाकों से किया जाएगा, जहां डाकघर की भारी कमी है और जनसंख्या घनत्व अधिक है। इससे न सिर्फ ग्रामीण जनता को बेहतर डाक सुविधा मिलेगी, बल्कि सरकार की अन्य योजनाओं तक भी उनकी पहुंच आसान होगी।
वर्तमान में 1067 उप डाकघर, लेकिन ज़रूरत ज्यादा
बिहार में फिलहाल कुल 1067 उप डाकघर हैं। इनमें से कई किराये की इमारतों में स्थित हैं और मुख्य सड़कों से दूर होने के कारण आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं। समीक्षा में यह भी सामने आया कि ऐसे डाकघरों को मुख्य सड़कों के समीप लाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि लोगों को डाकघर तक पहुंचने में कठिनाई न हो।
डिजिटल बदलाव और निर्यात केंद्र की सुविधा होगी
डाक विभाग की नई योजना में तकनीकी अपग्रेडेशन को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सभी डाकघरों को Google मैप सिस्टम से जोड़ा जाएगा, ताकि लोग ऑनलाइन लोकेशन सर्च कर सकें और डाकघर तक आसानी से पहुंच सकें। इसके साथ ही, निर्यात केंद्र (Export Center) जैसी सेवाएं भी अब डाकघरों में दी जाएंगी, जिससे छोटे व्यवसायियों और कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने उत्पाद भेजने में सुविधा होगी।
डाकघरों को फिर से बनाएंगे भरोसेमंद, लोगों को लाभ
पिछले कुछ वर्षों में डाक विभाग से आम लोगों का जुड़ाव थोड़ा कम हुआ है। इसे फिर से मजबूत करने के लिए, डाकघर अब केवल चिट्ठी भेजने का माध्यम नहीं रहेंगे, बल्कि बैंकिंग, बीमा, और डिजिटल सेवाओं का भी केंद्र बनेंगे। डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा जैसी योजनाएं पहले से ही प्रभावी हैं, जिन्हें अब और अधिक लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
बिहार में डाकघर का नया अध्याय, नई शुरुआत
बिहार में डाक विभाग की यह पहल सिर्फ एक नई व्यवस्था नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। जब हर 15 हजार की आबादी पर एक उप डाकघर होगा, तो न सिर्फ सरकारी योजनाएं ज्यादा लोगों तक पहुंचेंगी, बल्कि डाक विभाग का सामाजिक और आर्थिक योगदान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
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