चीन की तैयारी के बीच भारत की मजबूती की कोशिश
जहां एक तरफ चीन अपनी वायुसेना को लगातार आधुनिक बना रहा है, वहीं भारतीय वायुसेना में विमानों की कमी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इस समय भारतीय वायुसेना के पास महज 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि उसे कम से कम 42.5 स्क्वाड्रन की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि दो मोर्चों पर युद्ध (चीन और पाकिस्तान) की स्थिति में यह कमी भारत के लिए चुनौती बन सकती है।
MRFA योजना की सुस्ती और राफेल का भरोसा
भारत में मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोजेक्ट के तहत 114 लड़ाकू विमान खरीदे जाने की योजना है। लेकिन इस योजना की प्रक्रिया काफी धीमी है। अब तक न ही कोई टेंडर जारी किया गया है और न ही RFP (Request for Proposal)। इस देरी के कारण वायुसेना की जरूरतें अधूरी रह गई हैं। ऐसे में राफेल एक भरोसेमंद विकल्प बनकर सामने आया है। राफेल की पहले से मौजूद तकनीकी समझ, पायलटों की ट्रेनिंग और बेहतरीन परफॉर्मेंस ने इसे वायुसेना का पसंदीदा बना दिया है। यही वजह है कि अब भारत सरकार 40 और राफेल विमान खरीदने की तैयारी में है।
राफेल मरीन की डील पर जल्द होंगे हस्ताक्षर
इस बीच भारतीय नौसेना के लिए भी बड़ी डील तय मानी जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्रांस के रक्षा मंत्री 28 या 29 अप्रैल को भारत दौरे पर आ सकते हैं। इस दौरान इंडियन नेवी के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट्स की डील पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है। करीब 63,000 करोड़ रुपये की इस डील में 22 सिंगल-सीट फाइटर्स और 4 ट्विन-सीट ट्रेनर जेट्स शामिल होंगे। ये जेट्स INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात किए जाएंगे और पुराने हो चुके मिग-29K को रिप्लेस करेंगे।
स्ट्रैटेजिक सहयोग की ओर बड़ा कदम
सूत्रों के मुताबिक, भारत और फ्रांस के बीच उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ताएं लगातार जारी हैं। इसमें भारत में बनने वाले हेलीकॉप्टर्स के लिए सफ्रान इंजन से लेकर राफेल फाइटर जेट्स की दूसरी खेप तक पर विस्तार से चर्चा हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह सिर्फ एक खरीद नहीं है, बल्कि भारत और फ्रांस के बीच एक दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा है।"
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