थोरियम: एक सुरक्षित और स्थायी विकल्प
थोरियम एक प्राकृतिक रेडियोधर्मी तत्व है, जो पृथ्वी की परत में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह यूरेनियम की तुलना में सुरक्षित और अधिक उपलब्ध है, और इसके इस्तेमाल से बहुत कम रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न होता है। चीन ने अब इस तत्व को ईंधन के रूप में अपने मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रिएक्टर गोबी रेगिस्तान में स्थित है और 2 मेगावाट की थर्मल पावर उत्पन्न करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि थोरियम आधारित रिएक्टरों का उपयोग न केवल ऊर्जा उत्पादन को स्थिर और सुरक्षित बनाएगा, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। थोरियम रिएक्टरों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनमें मेल्टडाउन (निगलने) का खतरा लगभग न के बराबर होता है।
भारत: थोरियम का विशाल भंडार और आत्मनिर्भरता की दिशा
भारत में थोरियम के विशाल भंडार हैं, जो देश को परमाणु ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं। केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में थोरियम के महत्वपूर्ण खजाने पाए जाते हैं। खासकर केरल में इसका सबसे बड़ा भंडार स्थित है, जो भारत को थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है।
क्या थोरियम आधारित रिएक्टरों से भारत को मिलेगा वैश्विक नेतृत्व?
चीन की सफलता ने थोरियम आधारित परमाणु ऊर्जा की संभावनाओं को और भी स्पष्ट कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत अपने थोरियम संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करता है, तो यह न केवल अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है, बल्कि दुनिया भर में स्वच्छ और सुरक्षित परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।
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