भूमि सर्वेक्षण की वर्तमान स्थिति
बिहार में वर्षों से भूमि विवाद एक गंभीर समस्या रहा है। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में भूमि स्वामित्व को लेकर स्पष्टता की कमी, रिकॉर्ड का पुराना होना और आपसी विवादों के चलते कई बार विकास कार्य भी बाधित होते रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा विशेष सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है ताकि हर भूमि की स्थिति स्पष्ट हो और असली मालिकों को उनके हक के दस्तावेज प्राप्त हो सकें।
नए नियमों की मुख्य बातें
1 .मौखिक सहमति को भी आधार माना जाएगा
अब तक भूमि बदलाव, सीमांकन आदि के मामलों में लिखित दस्तावेज या कोर्ट आदेश को ही मान्यता मिलती थी। लेकिन अब, अगर किसी भूमि पर पूर्व में मौखिक सहमति से परिवर्तन किया गया है और उसकी जानकारी ग्राम स्तर पर प्रमाणित है, तो उसे भी वैध माना जाएगा।
2 .2025 की नियमावली को मिली मंजूरी
नई नियमावली में सर्वेक्षण की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करने, विवादों के ऑनलाइन समाधान, और ग्रामीण स्तर पर त्वरित न्याय के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं।
3 .रैयतों की सुविधा का ध्यान रखा जायेगा
सर्वे के दौरान किसानों और ज़मीन मालिकों को परेशानियों का सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार ने सर्वे स्टाफ को प्रशिक्षित करने, स्थानीय भाषा में फॉर्म और निर्देश देने जैसी व्यवस्था की है।
4 .डिजिटल रिकॉर्ड की अनिवार्यता
अब भूमि का हर रिकॉर्ड डिजिटल फॉर्मेट में होगा, जिससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि भविष्य में किसी भी सरकारी योजना में भूमि सत्यापन प्रक्रिया आसान होगी।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
जिलों के डीएम, अंचलाधिकारी और अन्य राजस्व अधिकारी अब इन नए नियमों के तहत सर्वेक्षण कार्य को अंजाम देंगे। साथ ही, पंचायत स्तर पर जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा, ताकि लोग अपने भूमि अधिकारों को समझ सकें और समय रहते सर्वेक्षण में सहयोग कर सकें।
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