सौदे की विशेषताएं
भारत द्वारा फ्रांस से खरीदे जाने वाले इन 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों में 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर विमान शामिल होंगे। यह विमान भारतीय नौसेना के प्रमुख एयरक्राफ्ट कैरियर्स - INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से ऑपरेट किए जाएंगे। इन दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर्स का उपयोग वर्तमान में पुराने मिग 29के विमानों से किया जा रहा है, जिनकी क्षमता अब सीमित हो चुकी है। राफेल मरीन विमानों की शक्ति और तकनीकी कुशलता भारतीय नौसेना को समुद्र में ज्यादा प्रभावी और सक्षम बनाएगी।
प्रारंभिक मंजूरी और सौदे का भविष्य
रक्षा सौदे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मंजूरी मिलने के बाद यह सौदा अंतिम रूप में आया है। सूत्रों के अनुसार, इस डील को इस महीने पूरा किए जाने की उम्मीद है। विमानों की डिलीवरी 2029 के अंत से शुरू होगी और 2031 तक भारत को पूरी खेप मिल जाएगी। इससे भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमता में एक नया आयाम जुड़ जाएगा, जिससे देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में और भी मजबूती आएगी।
राफेल मरीन की तकनीकी विशेषताएं
राफेल मरीन लड़ाकू विमान राफेल की जमीनी संस्करण से थोड़ा अलग होते हुए भी उसी की अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं। इन विमानों को खासतौर से एयरक्राफ्ट कैरियर्स से उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो छोटे रनवे और कठोर समुद्री वातावरण में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें। विमान में शक्तिशाली रडार सिस्टम, मिसाइल रक्षा प्रणालियां, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमताएं शामिल हैं, जो उसे किसी भी प्रकार के दुश्मन से निपटने के लिए सक्षम बनाती हैं।
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