ब्रह्मोस-2: क्या है?
ब्रह्मोस-2 एक हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे भारत और रूस मिलकर विकसित कर रहे हैं। यह मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल का अगला और बेहद एडवांस वर्जन होगा, जिसकी रफ्तार और मारक क्षमता दोनों ही दुश्मन के लिए चौंकाने वाली होंगी।
ब्रह्मोस-2 क्यों है इतना क्रांतिकारी?
ध्वनि से 7–8 गुना तेज़ होने के कारण ब्रह्मोस-2 को इंटरसेप्ट करना लगभग नामुमकिन है। इसके उन्नत इंजन 5 Mach से ऊपर की स्पीड पर काम करता है, जिससे यह मिसाइल हाइपरसोनिक रेंज में प्रवेश करती है। तेज़ स्पीड के साथ-साथ इसमें अत्याधुनिक गाइडेंस सिस्टम भी होगा, जिससे सटीक वार संभव है।
ब्रह्मोस-2 का ग्लोबल असर क्या होगा?
ब्रह्मोस-2 केवल भारत की सुरक्षा को ही नहीं, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नई ताकत देगा। यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से अग्रणी देशों की कतार में खड़ा है। यह मिसाइल आने वाले वर्षों में भारत के रणनीतिक साझेदारों को भी एक्सपोर्ट की जा सकती है। इससे भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट मार्केट और मजबूत होगा।
कब तक आ सकती है ब्रह्मोस-2?
रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रह्मोस-2 का पहला प्रोटोटाइप 2025–26 तक परीक्षण के लिए तैयार हो सकता है। ब्रह्मोस-2 केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी छलांग है। यह बताता है कि अगली जंगें सिर्फ ताकत की नहीं, टेक्नोलॉजी की होंगी और भारत इसमें पीछे नहीं, सबसे आगे चलने को तैयार है।
तकनीकी खूबियाँ जो इसे खास बनाती हैं:
गति: Mach 7–8 (लगभग 9,000 किमी/घंटा)
रेंज: 1,500 किलोमीटर तक
इंजन टेक्नोलॉजी: स्क्रैमजेट (Scramjet)
लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म: फ़ाइटर जेट, युद्धपोत, पनडुब्बी, मोबाइल लॉन्चर।
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