बिहार में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 3 नए आदेश जारी

पटना: बिहार में बढ़ती गर्मी को देखते हुए राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाले पोषाहार में बदलाव का निर्णय लिया है। समाज कल्याण विभाग की ओर से यह निर्देश जारी किया गया है कि फिलहाल गर्मी के मौसम में बच्चों को अंडे के स्थान पर सत्तू दिया जाए। विभाग ने यह कदम बढ़ती गर्मी और बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों को देखते हुए उठाया है, ताकि बच्चों की सेहत पर कोई विपरीत असर न पड़े और वे स्वस्थ रहें।

गर्मी में बच्चों के खान-पान की नई व्यवस्था

गर्मियों में बच्चों की सेहत के लिहाज से खान-पान में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। राज्य सरकार ने इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों के खानपान में कुछ बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। अब आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को सत्तू, नींबू, अचार, और मौसमी फल जैसे तरबूज, ककड़ी, खीरा, खरबूज दिए जाएंगे। यह कदम गर्मी के मौसम और बर्ड फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियों के खतरे को देखते हुए उठाया गया है।

इसके अलावा, विभाग ने यह भी कहा है कि बच्चों को नाश्ते में केला, पपीता, संतरा, और तरबूज जैसे फल दिए जाएं। इन फल-फूलों से बच्चों को न केवल आवश्यक पोषण मिलेगा, बल्कि यह उन्हें ताजगी और स्फूर्ति भी प्रदान करेगा। गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी होने का खतरा होता है, ऐसे में तरबूज और ककड़ी जैसे पानीदार फल विशेष रूप से लाभकारी साबित हो सकते हैं।

निगरानी और पोषाहार की निरंतरता

यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों को पोषाहार देने में लापरवाही न बरते, विभाग ने हर आंगनबाड़ी केंद्र के पोषाहार वितरण की निगरानी को कड़ा किया है। सभी सेविका-सहायिका को निर्देश दिया गया है कि वे पोषाहार देने से पहले और बाद में एक वीडियो बनाकर पोर्टल पर अपलोड करें। इस वीडियो में बच्चों के साथ सेविका का भी शामिल होना आवश्यक होगा।

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़े लाभुकों का पोषाहार एक दिन भी बंद नहीं होना चाहिए। यदि गर्मी के कारण केंद्र को बंद करने का निर्णय लिया जाता है, तो बच्चों को घर-घर जाकर गर्म खाना पहुँचाया जाएगा। इस व्यवस्था की निगरानी के लिए स्थानीय अधिकारियों जैसे एलएस और सीडीपीओ को जिम्मेदारी दी गई है।

आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन पर निर्णय

गर्मी के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन पर भी विचार किया जा रहा है। विभाग ने यह निर्णय स्थानीय जिला प्रशासन को सौंपा है, जहां हर जिले के डीएम यह तय करेंगे कि केंद्र को बंद किया जाए या उसकी टाइमिंग में बदलाव किया जाए। हालांकि, एक बात साफ है कि पोषाहार वितरण किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को सही समय पर पोषण मिल सके।

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