राजस्व कर्मचारियों की लापरवाही आई सामने
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की हालिया समीक्षा बैठक में यह सामने आया कि सरकारी जमीनों के करीब 26 लाख खेसरा की प्रविष्टि की जा चुकी है, लेकिन अंचल अधिकारियों द्वारा सिर्फ 22.61 प्रतिशत खेसरा का ही सत्यापन किया गया है। इसका अर्थ है कि बड़ी संख्या में खेसरे अब भी बिना जांच के पेंडिंग हैं, जिससे न केवल जमीन विवाद की संभावना बनी रहती है, बल्कि विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है।
सीओ पर बढ़ी जिम्मेदारी, मॉनिटरिंग के निर्देश
अब तक सत्यापन कार्य का अधिकतर भार राजस्व कर्मचारियों पर था, लेकिन अब अंचल अधिकारियों को इसके लिए सीधे तौर पर उत्तरदायी ठहराया गया है। आदेशानुसार, सभी सीओ को निर्देशित किया गया है कि जिला मुख्यालय से आने वाले पत्रों की अलग से रजिस्ट्रेशन एंट्री की जाए और राजस्व कर्मचारियों से उनका पठन-पाठन करवा कर हस्ताक्षर भी लिए जाएं। यह प्रक्रिया दस्तावेजी जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
विकास योजनाओं की राह होगी आसान
इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि सरकारी जमीन की स्पष्ट स्थिति सामने आए, जिससे राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं को जमीन उपलब्ध कराने में आसानी हो। सत्यापन पूरा न होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण में कानूनी अड़चनें आती हैं, जिससे परियोजनाएं लटक जाती हैं।
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