तीन बड़े फैसले जो लाएंगे शिक्षा व्यवस्था में सुधार:
1. निरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय सहभागिता
निरीक्षण अधिकारी अब कक्षा में जाकर बच्चों से सीधे संवाद करेंगे, जिससे छात्रों की शैक्षणिक समस्याओं को समझा जा सकेगा। बच्चों की कठिनाइयों को जानकर उनके समाधान की दिशा में तत्काल कदम उठाया जाएगा। इससे छात्रों और शिक्षकों के बीच पारदर्शिता बढ़ेगी और सीखने का माहौल बेहतर होगा।
2. अध्ययन-अध्यापन की गुणवत्ता का मूल्यांकन
बता दें की बिहार के इन स्कूलों में निरीक्षण के दौरान अधिकारी शिक्षकों से संवाद कर अध्ययन-अध्यापन की स्थिति का जायजा लेंगे। यह प्रक्रिया शिक्षकों की जवाबदेही को सुनिश्चित करेगी और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए प्रेरित भी करेगी।
3. मध्याह्न भोजन और उपस्थिति की निगरानी
निरीक्षण के दौरान अधिकारी इस बात का भी निरीक्षण करेंगे कि विद्यालय में कितने बच्चे नियमित रूप से उपस्थित रहते हैं और कितने बच्चे मध्याह्न भोजन का लाभ उठा रहे हैं। इसके लिए एक प्रपत्र तैयार किया जाएगा, जिस पर प्रधानाध्यापक के साथ-साथ अन्य शिक्षकों के भी हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और मध्याह्न भोजन योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ नई उम्मीदें
सत्र 2025-26 की पढ़ाई अब पूरी तरह से शुरू हो चुकी है। ऐसे समय में जब छात्र नई कक्षाओं में प्रवेश कर चुके हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। संजय कुमार का स्पष्ट निर्देश है कि निरीक्षण अधिकारी उन विद्यालयों का चयन करें जिनका अब तक निरीक्षण नहीं हुआ है, ताकि हर स्कूल को समान रूप से निगरानी और सहायता मिल सके।
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