1. अमेरिका: अंतरिक्ष युद्ध में प्रमुख ताकत
अमेरिका ने पहले ही अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइल तकनीक का विकास कर लिया था। अमेरिका का "नियोन" प्रोग्राम और "ऑपरेशन डॉमिनिक" के दौरान अमेरिका ने यह साबित कर दिया कि वह अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की रक्षा करने के साथ-साथ विरोधी उपग्रहों को नष्ट करने की क्षमता भी रखता है। अमेरिका के पास सबसे उन्नत ASAT मिसाइल प्रणाली है, जो शत्रु के उपग्रहों को नष्ट करने के लिए सक्षम है। इसके अलावा, अमेरिका ने 1980 के दशक में अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइल "स्मार्ट" का परीक्षण किया था, जिसने दुनिया के अन्य देशों को अंतरिक्ष में अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
2. रूस: अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत
रूस, जिसे पहले सोवियत संघ के नाम से जाना जाता था, भी एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है। रूस ने अपनी "Nudol" मिसाइल का विकास किया है, जो उपग्रहों को नष्ट करने में सक्षम है। रूस की एंटी सैटेलाइट मिसाइलों को लेकर हमेशा ही चिंता रही है क्योंकि यह मिसाइलें केवल युद्ध के दौरान उपयोगी नहीं होतीं, बल्कि शांति के समय भी अंतरिक्ष में खगोलिय गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं। रूस की ताकत उस समय और बढ़ जाती है जब वह अपने तकनीकी विज्ञान को मिश्रित रूप से उपयोग करता है, जैसे कि साइबर युद्ध और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के साथ।
3. चीन: अंतरिक्ष में बढ़ते प्रयास
चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइलों की क्षमताओं को बेहतर किया है। चीन ने 2007 में अपनी ASAT मिसाइल "SC-19" का परीक्षण किया था, जिसे एक उपग्रह को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था। इस परीक्षण ने दुनिया भर में एक नई बहस छेड़ दी थी, क्योंकि चीन के द्वारा किये गए इस परीक्षण से कक्षा में मलबे का ढेर बढ़ गया था, जो अंतरिक्ष में अन्य उपग्रहों के लिए खतरा बन सकता था। चीन अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के क्षेत्र में लगातार निवेश कर रहा है और अपनी अंतरिक्ष शक्ति को बढ़ा रहा है, जो आने वाले समय में वैश्विक सुरक्षा के लिए एक चुनौती बन सकता है।
4. भारत: अंतरिक्ष में नई शक्ति
भारत, जो अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुका है, ने हाल ही में अपनी एंटी सैटेलाइट मिसाइल "शक्ति" (Mission Shakti) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण 27 मार्च 2019 को किया गया था, और इसके माध्यम से भारत ने यह सिद्ध कर दिया कि वह अपने उपग्रहों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ शत्रु के उपग्रहों को भी नष्ट कर सकता है। इस परीक्षण के बाद भारत एंटी सैटेलाइट मिसाइल बनाने वाले देशों के समूह में शामिल हो गया। यह कदम भारत की बढ़ती तकनीकी ताकत और अंतरिक्ष में उसकी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करता है।
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