प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ा
अब तक केवल बुंदेलखंड क्षेत्र तक सीमित प्राकृतिक खेती को प्रदेश भर में विस्तार दिया जा रहा है। यूपी के 1886 क्लस्टर में यह योजना लागू होगी, जिनमें अधिकतर गांव नदियों के किनारे स्थित हैं। हर क्लस्टर में लगभग 50 हेक्टेयर भूमि को शामिल किया जाएगा और कम से कम 125 किसानों को इस खेती में जोड़ने का लक्ष्य है।
‘कृषि सखी’ कौन होंगी?
‘कृषि सखी’ स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी महिलाएं होंगी। इनका चयन जिला स्तर पर गठित निगरानी समिति करेगी। हर क्लस्टर में दो कृषि सखी नियुक्त की जाएंगी। इन्हें किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी देने और उन्हें प्रशिक्षित करने का काम सौंपा जाएगा।
किसानों को मिलेगा वार्षिक अनुदान
राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर किसान को प्रति वर्ष ₹4000 का अनुदान भी देगी। इस योजना से लगभग 2.35 लाख किसान लाभान्वित होंगे। सरकार का मानना है कि इससे किसान रसायन मुक्त खेती की ओर बढ़ेंगे, जिससे मिट्टी की सेहत सुधरेगी और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की मदद से होगा प्रशिक्षण
प्रशिक्षण कार्य में कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) की भी अहम भूमिका होगी। हर केंद्र से 2 वैज्ञानिक और एक तकनीशियन को इस कार्य में लगाया जाएगा, जो ‘कृषि सखी’ और किसानों को प्रशिक्षण देंगे।
प्रदेश के जिले में बनेंगे बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (BRC)
हर जिले में 2 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे, जहां से प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक सामग्री जैसे गोबर खाद, जैविक कीटनाशक आदि किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। हर केंद्र पर ₹1 लाख तक का खर्च किया जाएगा।
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