1. विवादित ज़मीन (Disputed Land)
यदि किसी ज़मीन पर पहले से कोई कानूनी विवाद चल रहा है, जैसे कि उत्तराधिकार, बंटवारा, या कब्जे को लेकर मामला कोर्ट में लंबित है, तो ऐसी ज़मीन से दूर रहना ही समझदारी है। इस तरह की ज़मीन में फँसना मतलब वर्षों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना।
2. सरकारी ज़मीन (Government Land)
सरकारी ज़मीनें जैसे कि पंचायत, नगरपालिका, या अन्य विभागों के नाम दर्ज ज़मीनें निजी स्वामित्व में नहीं हो सकतीं। ऐसे ज़मीन खरीदने पर कब्जा मिलना नामुमकिन है, और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
3. गोचर ज़मीन (Grazing Land)
यह ज़मीन ग्राम समाज की होती है जो गांव के पशुओं के चरने के लिए आरक्षित होती है। यह सार्वजनिक संपत्ति होती है, और इसकी बिक्री अवैध है। कई बार भू-माफिया इसे निजी ज़मीन बताकर बेच देते हैं। राजस्व रिकॉर्ड में ‘गोचर’ या ‘चारागाह’ लिखा होता है।
4. नजूल भूमि (Nazul Land)
नजूल ज़मीन वो होती है जो पहले किसी राजा-महाराजा या रियासत की होती थी और आज़ादी के बाद सरकार के अधीन आ गई। यह ज़मीन आमतौर पर किरायेदारों या अस्थायी कब्जाधारकों को दी जाती है, लेकिन खरीदी नहीं जा सकती जब तक सरकार की मंज़ूरी न हो।
5. सीलिंग एक्ट की ज़मीन (Land under Ceiling Act)
यदि किसी किसान या व्यक्ति के पास तय सीमा से अधिक ज़मीन है, तो उसे सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। ऐसे ज़मीन की खरीद-बिक्री विवादित मानी जाती है। रजिस्ट्री से पहले ज़मीन का सारा इतिहास (chain of ownership) चेक करें।
6. वन विभाग की ज़मीन (Forest Land)
भारत में वन संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी जंगल की ज़मीन का निजी उपयोग प्रतिबंधित है। कई बार यह ज़मीन कृषि भूमि के नाम पर बेची जाती है, पर बाद में सरकारी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
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