अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि इस अत्याधुनिक फाइटर जेट के लिए पूरी तरह नए सिरे से डिजाइन और तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होगी। उन्होंने यह भी माना कि यह भारत की मौजूदा क्षमताओं के लिए एक 'बड़ी छलांग' होगी, लेकिन देश की दीर्घकालिक रक्षा रणनीति के लिए यह आवश्यक कदम है।
AMCA प्रोजेक्ट से मिले अनुभव का होगा इस्तेमाल
फिलहाल भारत एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट पर कार्यरत है, जो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण का महत्वाकांक्षी प्रयास है। इस परियोजना का नेतृत्व एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) कर रही है, और इसके तहत भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2028 तक पहला टेस्ट फ्लाइट पूरा किया जाए।
IDRW की रिपोर्ट में कहा गया है कि AMCA के विकास के दौरान जो अनुभव और तकनीकी समझ विकसित होगी, वह छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स के निर्माण में बेहद सहायक साबित होगी। अधिकारी ने कहा, "एक बार AMCA उड़ान भरने लगे, तो इंडियन एयरफोर्स और ADA के लिए छठी पीढ़ी के कॉम्बैट जेट्स का कंसेप्ट तैयार करने का बिल्कुल सही वक्त होगा।"
क्या है 6th जनरेशन फाइटर जेट्स की खासियत?
छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स पूरी तरह से अगली पीढ़ी की तकनीक से लैस होंगे — जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डायरेक्टेड एनर्जी वेपंस, हाइपरसोनिक क्रूज, स्टील्थ टैक्नोलॉजी का और अधिक उन्नत रूप, और मानव रहित या ऑप्शनल पायलट ऑपरेशन की क्षमताएं। अगर भारत इस दिशा में कदम उठाता है, तो यह देश की रक्षा क्षमता को एक नई ऊंचाई देगा और उसे अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों की कतार में लाकर खड़ा कर सकता है, जो पहले से ही 6th जनरेशन विमानों पर काम कर रहे हैं।
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