दुनिया के अग्रणी तकनीकी दिग्गजों में से एक बिल गेट्स ने हाल ही में AI को लेकर एक चौंकाने वाली लेकिन सोचने पर मजबूर कर देने वाली भविष्यवाणी की है। गेट्स का मानना है कि 2035 तक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) न केवल डॉक्टरों और शिक्षकों जैसे पेशेवरों की जगह ले लेगी, बल्कि एक ऐसे युग की शुरुआत करेगी जिसे उन्होंने “मुक्त बुद्धिमत्ता” का नाम दिया है।
गेट्स के अनुसार, AI आधारित टूल्स और प्लेटफॉर्म इतने सक्षम और सुलभ हो जाएंगे कि चिकित्सा परामर्श और ट्यूटरिंग जैसी सेवाएं आम लोगों को मुफ्त और व्यापक रूप से उपलब्ध होंगी। विशेष रूप से भारत और अफ्रीका जैसे वंचित क्षेत्रों में इसका सबसे बड़ा लाभ देखा जाएगा, जहां अब तक इन सेवाओं की भारी कमी रही है।
हर क्षेत्र में AI का प्रभाव
गेट्स की यह भविष्यवाणी केवल डॉक्टरों और शिक्षकों तक सीमित नहीं है। उनका मानना है कि AI का प्रभाव निर्माण, रसद, कृषि और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में भी महसूस किया जाएगा। जैसे-जैसे AI अधिक कार्यों को खुद संभालने लगेगा, पारंपरिक नौकरी की अवधारणा बदलती जाएगी। गेट्स ने संकेत दिया कि भविष्य में पूर्णकालिक नौकरियों की जगह कम कार्य सप्ताह, जल्दी सेवानिवृत्ति और अधिक अवकाश आम बात बन सकती है।
सामाजिक ढांचे में बदलाव की तैयारी ज़रूरी
गेट्स ने चेताया कि इस परिवर्तन के साथ ही समाजों को “उत्पादकता” और “उद्देश्य” जैसे मूलभूत सिद्धांतों पर पुनर्विचार करना होगा। उन्होंने स्वीकार किया कि हालांकि AI से एक समृद्ध और सक्षम समाज बन सकता है, लेकिन इससे बेरोजगारी और सामाजिक असमानता का खतरा भी बढ़ेगा। इन्हीं खतरों से निपटने के लिए गेट्स ने सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) और धन के निष्पक्ष वितरण जैसे विचारों को आगे बढ़ाने की बात कही।
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