यूपी में जमीन की अदला-बदली के 5 अहम नियम!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जमीन की अदला-बदली (लैण्ड एक्सचेंज) अब पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया के तहत होती है। यदि आप अपनी जमीन किसी और से बदलना चाहते हैं, तो इसके लिए कुछ जरूरी नियमों और शर्तों को पूरा करना होता है। राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जमीन से जुड़ी हर अदला-बदली पूरी तरह से कानूनी और दोनों पक्षों की सहमति पर आधारित हो।

1. दोनों पक्षों की लिखित सहमति अनिवार्य

जमीन की अदला-बदली तभी संभव है जब दोनों पक्ष अपनी-अपनी जमीन स्वेच्छा से बदलने को तैयार हों। इसके लिए एक लिखित सहमति पत्र देना जरूरी है, जो आगे कानूनी दस्तावेज के रूप में मान्य होगा।

2. मालिकाना हक जरूरी

अदला-बदली उन्हीं जमीनों के बीच की जा सकती है, जिन पर संबंधित पक्षों का वैध मालिकाना हक हो। यदि किसी भी पक्ष की जमीन विवादित है या मालिकाना हक स्पष्ट नहीं है, तो अदला-बदली प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती।

3. उप जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन

दोनों पक्षों को उप जिलाधिकारी (SDM) न्यायालय में एक संयुक्त प्रार्थना पत्र देना होता है। इसके साथ-साथ, सहमति का शपथ पत्र भी प्रस्तुत करना होता है। यह प्रक्रिया अदला-बदली को कानूनी वैधता देती है।

4. नहीं देना होगा न्यायालय शुल्क

अदला-बदली की प्रक्रिया में कोर्ट फीस नहीं ली जाती, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलती है। यह व्यवस्था खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है, जहां भूमि विनिमय सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है।

5. भूमि की श्रेणी का विशेष ध्यान

यदि अदला-बदली में कोई पक्ष अपनी कृषि भूमि को गैर-कृषि प्रयोजन के लिए बदलवाना चाहता है, तो उसे इसके लिए आवेदन करना होगा। ऐसे मामलों में न्यायालय शुल्क माफ किया जाता है, जिससे भूमि परिवर्तन प्रक्रिया आसान हो जाती है।

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