भारत की हाइपरसोनिक प्रगति: चीन के लिए खतरे की घंटी!

नई दिल्ली: भारत ने हाइपरसोनिक तकनीक के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण प्रगति को साबित किया है, जो न केवल रक्षा क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करता है। हाल ही में, भारत ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिससे उसे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में एक नई पहचान मिली है। इस कदम के साथ, भारत अब चीन के समान हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ताकत बनकर उभरा है।

भारत का हाइपरसोनिक परीक्षण:

भारत ने 16 नवंबर, 2024 को ओडिशा के तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया। यह परीक्षण भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया था और यह भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग को दर्शाता है। इस मिसाइल का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न पेलोड को ले जाने की क्षमता प्रदान करना है।

यह परीक्षण भारत के हाइपरसोनिक कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है, जिससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को चीन और अन्य प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले मजबूती मिली है। हाइपरसोनिक तकनीक का विकास भविष्य में युद्धक स्थितियों में भारत को एक प्रभावशाली स्थिति में ला सकता है।

हाइपरसोनिक तकनीक और उसकी वैश्विक अहमियत

हाइपरसोनिक मिसाइलों की गति ध्वनि की गति से भी कई गुना अधिक होती है, जो इन्हें पारंपरिक मिसाइलों से कहीं अधिक घातक और तेज बनाती है। इन मिसाइलों का लक्ष्य किसी भी दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणाली को पार करना और तेज गति से लक्ष्य को भेदना होता है। इस तकनीक का विकास युद्ध के मैदान में निर्णय लेने के समय को तेजी से घटा सकता है और दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकता है।

भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफलता से परीक्षण चीन के लिए एक स्पष्ट चेतावनी हो सकती है। चीन, जो पहले से ही इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, अब भारत से बढ़ती प्रतिस्पर्धा महसूस कर सकता है। चीन के पास पहले से ही हाइपरसोनिक मिसाइलों और ग्लाइडर जैसे हथियारों का एक मजबूत विकास प्रोग्राम है, जैसे DF-27 और DF-ZF/Wu-14, जो उनकी सैन्य क्षमताओं को नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रहे हैं।

चीन की हाइपरसोनिक प्रगति: वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

चीन हाइपरसोनिक मिसाइलों के क्षेत्र में काफी तेजी से प्रगति कर रहा है। इसके पास DF-21D जैसे 'कैरियर किलर' मिसाइलें हैं, जो समुद्र में तैनात विमानवाहक पोतों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इसके अलावा, DF-27 और DF-ZF/Wu-14 जैसी मिसाइलें भी चीन की हाइपरसोनिक क्षमताओं को मजबूत बनाती हैं, जो पारंपरिक मिसाइलों से कई गुना अधिक गति से यात्रा करती हैं और किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को चकमा देने की क्षमता रखती हैं।

चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनकी गति और उड़ान की दिशा को बदलने की क्षमता होती है, जिससे इन्हें पहचानना और उन्हें रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, चीन का हाइपरसोनिक ग्लाइडर (DF-ZF) भी खासा प्रभावी है, जो बहुत कम ऊँचाई पर उड़ता है और अपनी दिशा बदलने की क्षमता के कारण इसकी पहचान और मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है।

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