इस नई व्यवस्था के तहत, आवासीय ज़ोन में पब्लिक और सेमी-पब्लिक इकाइयों के श्रमिकों और प्रबंधन कर्मियों के लिए विशेष रूप से हॉस्टल और डार्मेट्री बनाए जा सकेंगे। यही नहीं, निर्माण के लिए निर्धारित फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) में भी 20 फीसदी तक की अतिरिक्त खरीद की सुविधा दी गई है, जिससे विकासकर्ताओं को अधिक निर्माण की अनुमति मिलेगी।
सरकार का मानना है कि यह निर्णय औद्योगिक हब के पास किफायती और सुनियोजित आवास उपलब्ध कराएगा और प्रवासी श्रमिकों को शहरों की ओर पलायन करने से रोकेगा। साथ ही, इससे उन स्थानीय लोगों के लिए भी रोज़गार के नए दरवाज़े खुलेंगे, जो सेवा क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।
मास्टर प्लान में होगा संशोधन
इस फैसले को लागू करने के लिए राज्य के विभिन्न शहरों के मास्टर प्लान और जोनिंग रेगुलेशंस में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। नियोजन इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि वे नई नीति के अनुसार ज़मीन के उपयोग की योजना बनाएं, ताकि हॉस्टल, डार्मेट्री और स्टाफ क्वार्टर जैसी सुविधाओं के लिए पर्याप्त भूमि आरक्षित की जा सके।
औद्योगिक विकास को मिलेगी नई ऊर्जा
यह नीति प्रदेश में औद्योगिक निवेशकों को आकर्षित करने में मददगार साबित होगी। कंपनियों के लिए अपने कर्मचारियों को नियोजित तरीके से रखने की सुविधा मिलने से वे यूपी में उद्योग स्थापित करने के लिए और भी उत्साहित होंगी। इससे न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन को भी मजबूती मिलेगी।
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