राज्य सरकार को लंबे समय से ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि लोग बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए अपनी ज़मीन के उपयोग में बदलाव कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, खेती की ज़मीन को व्यवसायिक या आवासीय उपयोग में ला रहे हैं, जबकि ऐसा करने पर अतिरिक्त लगान देना होता है। इस लापरवाही से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है।
विभाग के सचिव ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए अंचलाधिकारियों और तहसीलदारों को आदेश दिया है कि जो रैयत कई वर्षों से लगान नहीं चुका रहे हैं, उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। विभाग के अनुसार, अंचल स्तर पर 25 बड़े बकायेदारों और जिला स्तर पर 10 प्रमुख रैयतों की सूची बनाई जा रही है। इन बकायेदारों को पहले नोटिस जारी किया जाएगा, और तय समय में लगान का भुगतान न करने पर नीलाम पत्र वाद दायर कर ज़मीन की नीलामी की जाएगी।
जमीन की प्रकृति बदलने पर भी वसूला जाएगा लगान
राजस्व विभाग का कहना है कि जो लोग ज़मीन की प्रकृति को बदले बिना उस पर व्यवसायिक या आवासीय निर्माण कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्हें नोटिस जारी कर प्रकृति परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने और बढ़े हुए लगान का भुगतान करने को कहा जाएगा।
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