यूपी के कई जिलों में जमीन की चकबंदी, पढ़ें डिटेल

इटावा: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के ग्रामीण इलाकों में भूमि सुधार और कृषि विकास को ध्यान में रखते हुए चकबंदी प्रक्रिया को एक बार फिर तेज़ गति देने का निर्णय लिया है। इस पहल के तहत प्रदेश के करीब 1,700 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है। यह निर्णय उन गांवों में लागू किया जा रहा है जहां 50 प्रतिशत से अधिक किसानों ने चकबंदी के पक्ष में सहमति जताई है।

चकबंदी क्यों है और ये क्यों ज़रूरी है?

चकबंदी, किसानों की बिखरी हुई जमीनों को एकसाथ समेकित कर बेहतर तरीके से खेती योग्य बनाने की प्रक्रिया है। इससे किसानों को सिंचाई, खेती और भूमि की देखरेख में सुविधा मिलती है, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है। साथ ही, इससे विवादों की संभावना भी कम होती है और ग्रामीण भूमि का सुनियोजित विकास संभव हो पाता है।

नवादा खुर्द कलां (इटावा) में चकबंदी

इटावा जिले के लवेदी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत नवादा खुर्द कलां में चकबंदी की प्रक्रिया वर्ष 2014 से चल रही है। अब यह प्रक्रिया अपने निर्णायक चरण में पहुँच रही है। इसी क्रम में, चकबंदी की धारा 23 को सुचारू रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से एक विशेष जनचौपाल का आयोजन किया जा रहा है।

चकबंदी के लिए धारा 23 का महत्व

चकबंदी अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत चकबंदी नक्शे और प्रस्तावित चकों को अंतिम रूप दिया जाता है। यह प्रक्रिया सभी संबंधित पक्षों की सहमति और आपत्तियों के निस्तारण के बाद की जाती है। इसका उद्देश्य है कि सभी किसान अपनी जमीन की नई स्थिति को समझें और किसी प्रकार का विवाद भविष्य में उत्पन्न न हो।

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