विज्ञापन पहले, तैनाती बाद में
इस पूरी नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत जनवरी 2004 में हुई थी, जब बीएड डिग्रीधारकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसके बाद फरवरी 2004 में संशोधित विज्ञापन आया, जिसमें चयनित अभ्यर्थियों को छह माह का प्रशिक्षण अनिवार्य बताया गया – तीन माह जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में और तीन माह विद्यालय में।
विभाग ने सभी को एक साथ प्रशिक्षण देने में असमर्थता जताई, जिसके चलते यह कार्य तीन चरणों में पूरा किया गया। इस वजह से प्रशिक्षण का अंतिम चरण दिसंबर 2005 में समाप्त हुआ, जबकि 1 अप्रैल 2005 से प्रदेश में नई पेंशन योजना लागू हो चुकी थी। परिणामस्वरूप इन शिक्षकों की तैनाती नई पेंशन योजना के तहत की गई।
लंबे समय से संघर्ष, अब जागी नई उम्मीद
इन शिक्षकों ने वर्षों तक पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष किया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से लेकर उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले का निस्तारण "मेरिट के आधार पर" करे। बावजूद इसके, राज्य सरकार ने इन शिक्षकों को नियुक्ति तिथि के आधार पर नई पेंशन में ही रखा।
हालांकि अब शिक्षकों को एक बार फिर से राहत की उम्मीद बंधी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट आदेश दिया है कि जिन नौकरियों के विज्ञापन नई पेंशन व्यवस्था लागू होने से पहले निकाले गए हैं, उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत माना जाए। इस आदेश के आधार पर केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें पहले ही पुरानी पेंशन बहाली की दिशा में कदम उठा चुकी हैं।
बैठक से निकल सकती है राहत की राह
उत्तर प्रदेश में भी अब यह मामला निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में सभी संबंधित विभागों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक शीघ्र आयोजित की जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि बैठक में विशिष्ट बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने को लेकर ठोस निर्णय लिया जा सकता है।
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