कोर्ट का आदेश और राज्य सरकार की स्थिति
पटना हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने राज्य सरकार के कानून को सही ठहराते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें बी फार्मा और एम फार्मा डिग्री धारकों ने फार्मासिस्ट की भर्ती में अपनी पात्रता को लेकर सवाल उठाए थे।
राज्य सरकार का कहना था कि फार्मासिस्ट और ड्रग इंस्पेक्टर के पदों के लिए नियमावली अलग-अलग हैं। फार्मासिस्ट की बहाली के लिए डी फार्मा की योग्यता को अनिवार्य माना गया है। हालांकि बी फार्मा और एम फार्मा उच्च डिग्रियां हैं, लेकिन फार्मासिस्ट के पद पर नियुक्ति के लिए इनकी आवश्यकता नहीं है।
डी फार्मा की महत्वता
पटना हाईकोर्ट के फैसले से यह साफ है कि फार्मासिस्ट का काम विशेष रूप से दवाओं की वितरण और उनके सही उपयोग से जुड़ा होता है, और इसे एक विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जो डी फार्मा में उपलब्ध होता है। इस डिप्लोमा को प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को दवाइयों की पहचान, उनकी उचित खुराक और उनके दुष्प्रभावों के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त होती है, जो किसी भी फार्मासिस्ट के लिए बेहद आवश्यक होती है।
बी फार्मा और एम फार्मा की स्थिति
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बी फार्मा और एम फार्मा डिग्रियां उच्च शैक्षिक योग्यताएं हैं, लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य फार्मेसी के क्षेत्र में अन्य उच्च पदों के लिए योग्य बनाना है, जैसे कि ड्रग इंस्पेक्टर, फार्मास्युटिकल रिसर्च या फार्मास्युटिकल मार्केटिंग में। इसलिए इन डिग्रियों के धारक फार्मासिस्ट के बजाय अन्य उच्च पदों के लिए पात्र हो सकते हैं, लेकिन फार्मासिस्ट के पद के लिए डी फार्मा अनिवार्य है।
राज्य सरकार की पहल
दिसंबर 2023 में, राज्य सरकार ने यह आदेश जारी किया था कि बी फार्मा और एम फार्मा डिग्री धारक भी फार्मासिस्ट के पद पर बहाली प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। लेकिन बाद में अक्टूबर 2024 में, सरकार ने स्पष्ट रूप से डी फार्मा को फार्मासिस्ट की नियुक्ति के लिए अनिवार्य योग्यता घोषित किया। यह कदम राज्य में फार्मासिस्टों की भर्ती को व्यवस्थित करने और योग्य व्यक्तियों को ही इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करने की दिशा में उठाया गया था।
0 comments:
Post a Comment