यूपी में गांव-गांव हो रहा सर्वे, सबको मिलेगी घरौनी!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अब संपत्ति का रिकॉर्ड पूरी तरह से डिजिटल और कानूनी रूप ले रहा है। प्रदेश सरकार ने घरौनी को कानूनी दस्तावेज की मान्यता देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राजस्व विभाग की ओर से इसके लिए अधिनियम का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। नियमावली की मौजूदा व्यवस्था को जल्द ही अधिनियम का रूप दिया जाएगा, जिससे घरौनी पर अब कोई कानूनी सवाल नहीं उठ सकेगा।

90 हजार से ज्यादा गांव होंगे कवर

इस योजना का लाभ प्रदेश के 90,537 गांवों के लाखों लोगों को मिलेगा। अब तक सिर्फ शहरी क्षेत्रों में संपत्ति के कानूनी दस्तावेज होते थे, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों के मकानों और जमीनों के लिए भी घरौनी पूरी तरह वैध दस्तावेज बन जाएगी।

ड्रोन से बन रहा हर घर का नक्शा

घरौनी तैयार करने से पहले गांव-गांव में ड्रोन सर्वे कराया जा रहा है। ड्रोन की मदद से हर घर का बारीकी से नक्शा तैयार किया जा रहा है। इस नक्शे को गांव के सार्वजनिक स्थलों पर चिपकाया जाता है ताकि ग्रामीण उसमें दर्ज विवरण की जांच कर सकें। अगर दो सप्ताह के भीतर कोई आपत्ति नहीं आती, तो उस नक्शे को सही मानकर घरौनी बना दी जाती है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ावा दे रही है।

क्यों जरूरी है घरौनी?

घरौनी न सिर्फ एक पहचान है, बल्कि यह किसी भी ग्रामीण नागरिक को बैंक लोन, संपत्ति विवाद से बचाव, और सरकारी योजनाओं में लाभ दिलाने में मददगार साबित होती है। इसके कानूनी दस्तावेज बनने से नक्शा, रिकॉर्ड और स्वामित्व सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।

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