उन्होंने बताया कि म्यूचुअल ट्रांसफर की यह सुविधा उन कंडक्टरों को मिलेगी जिन्होंने कम से कम छह महीने की सेवा पूरी कर ली है और 30,000 किलोमीटर का सफल संचालन किया है। यह पहल कंडक्टरों को पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निभाने में सहूलियत देगी, जिससे कर्मचारियों की संतुष्टि और कामकाज में सुधार होगा।
पारिवारिक जीवन और संचालन में आएगा संतुलन
अब तक की व्यवस्था के अनुसार, कंडक्टरों को सेवा प्रदाता एजेंसियों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात किया जाता था, जहां से स्थानांतरण की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे कई बार कंडक्टरों को अपने परिवारों से दूर रहकर काम करना पड़ता था, जो उनके लिए मानसिक और आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता था। नई व्यवस्था से न सिर्फ कंडक्टरों के जीवन में संतुलन आएगा, बल्कि इससे उनकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होगी।
इस नई व्यवस्था से निगम को मिलेगी नई गति
राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह ने इस कदम को "आउटसोर्स कंडक्टरों के हित में ऐतिहासिक निर्णय" बताया। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल ट्रांसफर से कंडक्टरों की अनुपस्थिति में कमी आएगी और अवकाश लेने की प्रवृत्ति भी घटेगी, जिससे बसों का संचालन नियमित रहेगा। यह परिवहन निगम की आय में भी बढ़ोतरी करेगा, क्योंकि अधिक संख्या में बसें समय पर चल सकेंगी।
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