एक ऐतिहासिक पहल
स्वामित्व योजना, जो केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, के तहत यूपी के 90,573 गांवों को चिह्नित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को उनके घर की कानूनी स्वामित्व प्रमाण पत्र देना है, जिससे न केवल उनका अधिकार सुनिश्चित होता है, बल्कि वे इसे संपत्ति के रूप में प्रमाणित कर सकते हैं। घरौनी वितरण कार्य की शुरुआत 24 अप्रैल 2020 को बाराबंकी जिले से हुई थी और तब से पूर्वांचल के 37 जिलों में इसका विस्तार हुआ है।
घरौनी वितरण की स्थिति
राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश के 76,884 गांवों में घरौनी तैयार करने का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। इनमें 1,02,85,350 घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से 1,01,31,332 घरौनियां पहले ही वितरित की जा चुकी हैं। घरौनी वितरण कार्य में तेजी लाने के लिए विभाग ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, ताकि दिसंबर तक सभी गांवों में घरौनी वितरित की जा सके।
मोबाइल के जरिए सूचित
घरौनी तैयार होने के बाद, नागरिकों को उनके मोबाइल फोन पर एक लिंक भेजा जाता है, जिस पर क्लिक करके वे अपने घरौनी को निशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि किसी नागरिक को घरौनी की आवश्यकता है, तो वह इसे संबंधित विभाग के कार्यालय से भी प्राप्त कर सकता है। इस प्रक्रिया से सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अधिक से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा सकें।
दिसंबर तक सभी गांवों में वितरण
राजस्व विभाग ने दिसंबर 2025 तक सभी चिह्नित गांवों में घरौनी वितरण का लक्ष्य रखा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य केवल स्वामित्व प्रमाण पत्र देना नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीणों को बैंकों से लोन लेने में भी मदद मिलेगी। अब, उनके पास अपना घर साबित करने का अधिकार होगा, जिससे वे बैंकों से घर बनाने या अन्य जरूरी कामों के लिए ऋण ले सकेंगे। इसके अलावा, घरौनी वितरण से संपत्ति विवादों का समाधान भी संभव होगा, क्योंकि अब हर घर का स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध होगा।
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