यूपी में नक्शा पास कराने को लेकर नए नियम लागू!

न्यूज डेस्क: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेने की आवश्यकता नहीं होगी। यह निर्णय उन आवेदकों के लिए बड़ी राहत है, जिनकी फाइलें महीनों तक नगर निगम में लटकी रहती थीं।

क्या है मामला?

अब तक मकान या अन्य निर्माण कार्य के लिए नक्शा पास कराने हेतु एलडीए को नगर निगम समेत विभिन्न विभागों से एनओसी लेनी पड़ती थी। नगर निगम का काम सिर्फ यह देखना था कि निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि में कहीं उसकी कोई सरकारी जमीन (जैसे कि सीलिंग, नजूल आदि) शामिल तो नहीं है। मगर व्यवहार में नगर निगम के अधिकारी इससे कहीं आगे बढ़कर गृहकर, सीलिंग, नजूल जैसी कई जांचों में उलझा देते थे, जिससे आम नागरिकों को काफी परेशानी होती थी।

एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने इस स्थिति पर सख्त रुख अपनाते हुए 7 फरवरी को "मानचित्र समाधान दिवस" में नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने यह भी कहा कि गृहकर या अन्य करों की जांच का मानचित्र पास कराने से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या बदला है अब?

नगर निगम से एनओसी की अनिवार्यता समाप्त: अब एलडीए को नगर निगम से एनओसी लेने की जरूरत नहीं होगी।

तहसील से मिलेगी ज़मीन संबंधी एनओसी: नगर निगम की जगह अब संबंधित तहसील से एनओसी ली जाएगी, क्योंकि तहसील के पास पूरे क्षेत्र का ज़मीन रिकॉर्ड उपलब्ध होता है।

एलडीए संपत्ति विभाग करेगा अन्य जांच: एलडीए का संपत्ति विभाग अब खुद नगर निगम से संबंधित जमीन की पुष्टि करेगा।

इस बदलाव के पीछे क्या है तर्क?

नगर निगम केवल विस्तारित क्षेत्रों का ही रिकॉर्ड रखता है। पुराने शहर के लगभग 86 मोहल्लों का रिकॉर्ड या तो अधूरा है या उपलब्ध नहीं। अक्सर वह खुद एलडीए से ही रिपोर्ट लेकर एनओसी जारी करता था। ऐसे में जब एलडीए के पास ही रिकॉर्ड उपलब्ध है, तो नगर निगम से एनओसी लेने की प्रक्रिया समय की बर्बादी बन गई थी।

मलवा शुल्क पर क्या असर पड़ेगा?

नगर निगम अब भी निर्माण के दौरान निकलने वाले मलबे पर मलवा शुल्क वसूल सकेगा। इस पर रोक नहीं लगाई गई है। यानी नगर निगम की आय पर इसका नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। साथ ही प्रक्रिया होगी तेज और पारदर्शी होगी और फाइलों के लंबित रहने की समस्या खत्म होगी। 

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