बिहार के सरकारी स्कूलों में अब बच्चे सीखेंगे तैराकी

पटना: बिहार सरकार ने एक सराहनीय और दूरदर्शी पहल करते हुए राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं को तैराकी सिखाने का निर्णय लिया है। यह पहल न केवल विद्यार्थियों के शारीरिक विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि उन्हें आपदाओं के समय में खुद को और दूसरों को बचाने में भी सक्षम बनाएगी। इस योजना के अंतर्गत कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को स्विमिंग पूल में योग्य प्रशिक्षकों के माध्यम से तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

तैराकी: जीवनरक्षक कौशल

बिहार में हर साल बाढ़, नदियों में डूबने और अन्य जल से जुड़ी आपदाओं की खबरें आती रहती हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बच्चे और बड़े अक्सर डूबने की घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में तैराकी एक ऐसा जीवनरक्षक कौशल है, जिसकी जानकारी कई जानें बचा सकती है। यह प्रशिक्षण बच्चों को न केवल आपात स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि वे दूसरों की भी मदद कर सकेंगे।

जिले स्तर पर स्विमिंग पूलों का निर्माण

फिलहाल जिन जिलों में स्विमिंग पूल मौजूद हैं, वहां बच्चों को तुरंत प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, अन्य जिलों और प्रखंड मुख्यालयों में भी चरणबद्ध तरीके से स्विमिंग पूल बनाए जाएंगे। पटना के स्विमिंग पूलों में इस दिशा में तैयारियां जोरों पर हैं। इसके पीछे बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (BEPC) और बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) की संयुक्त पहल है, जो 'मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम' के अंतर्गत संचालित की जा रही है।

आपदा मित्र और मॉक ड्रिल की भूमिका

इस योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू 'आपदा मित्र' कार्यक्रम है। इसके तहत छात्रों को न केवल तैराकी सिखाई जाएगी, बल्कि भूकंप जैसी अन्य आपदाओं से निपटने की रणनीतियाँ भी बताई जाएंगी। खासकर उन जिलों में जो भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं, वहां प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान भूकंप से बचाव की मॉक ड्रिल कराई जाएगी। इससे छात्र न केवल खुद सुरक्षित रहना सीखेंगे, बल्कि अपने परिवार और समुदाय को भी जागरूक करेंगे।

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