चेहरे की पहचान से लगेगी हाजिरी
ऑनलाइन अटेंडेंस की इस नई व्यवस्था के अंतर्गत छात्रों और शिक्षकों की हाजिरी फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से ली जाएगी। डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इन 30 स्कूलों में 30 टैबलेट भेजे जा चुके हैं। अब छात्र-शिक्षक दोनों की उपस्थिति एक ही मंच पर डिजिटल रूप से दर्ज होगी। इससे यह स्पष्ट रहेगा कि कौन स्कूल आ रहा है और कौन नहीं।
ट्रायल सफल रहा तो पूरे राज्य में लागू
यह नई व्यवस्था पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जा रही है। अगर ट्रायल सफल होता है, तो इसे बिहार के सभी सरकारी विद्यालयों में लागू किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य स्कूली शिक्षा में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाना है। इसकी तैयारी की जा रही हैं।
स्थानीय भाषा में पढ़ाई का समर्थन
पटना जिले के बिक्रम से एक शिक्षक ने बच्चों की शिक्षा को स्थानीय भाषा में देने की बात कही, जिसका डॉ. सिद्धार्थ ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने स्वीकार किया कि पाठ्यपुस्तकों में मातृभाषा की कमी है, लेकिन शिक्षक प्रयास करें कि "A for Apple" को बच्चों को भोजपुरी या स्थानीय भाषा में समझाएं।
डिजिटल शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम
माधव पट्टी मध्य विद्यालय के एक शिक्षक ने बच्चों के मोबाइल उपयोग पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि शिक्षा विभाग मोबाइल आधारित शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराए। इस पर एसीएस ने जानकारी दी कि कक्षा 6 से सभी स्कूलों में आईसीटी लैब स्थापित की जाएगी।
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