रजिस्ट्री है जरूरी, नहीं तो संयुक्त खतियान ही बनेगा
यदि बंटवारा बिना रजिस्ट्री के किया गया है, तो उस स्थिति में सभी मालिकों के नाम पर संयुक्त खतियान ही बनाया जाएगा। यानी रजिस्ट्री कराना न केवल कानूनी दृष्टिकोण से जरूरी है, बल्कि इससे भविष्य में विवाद की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
बंटवारे की प्रक्रिया: आसान लेकिन दस्तावेज़ों की ज़रूरत
1 .आपसी सहमति से बंटवारा : सभी हिस्सेदारों की सहमति से एक बंटवारानामा तैयार किया जा सकता है, जिसे रजिस्ट्री कार्यालय में पंजीकृत कराना अनिवार्य है।
2 .वंशावली और स्वघोषणा : यदि किसी व्यक्ति के पास ज़मीन खतियानी हो तो वंशावली और स्वघोषणा पत्र के साथ बंटवारानामा जमा कर सकते हैं।
3 .अंचल अधिकारी को आवेदन : सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ अंचल अधिकारी को बंटवारा संबंधी आवेदन दिया जाता है।
4 .खतियान में नाम दर्ज : दस्तावेज़ों की जांच और ज़मीन की मापी के बाद नए खतियान में हिस्सेदारों के नाम दर्ज किए जाएंगे।
बंटवारे के बाद क्या होगा नया?
नए खतियान में खेसरा नंबर और नक्शा भी नए सिरे से बनेगा। यदि खतियान में किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है, तो रैयत को तीन बार अपील का मौका मिलेगा। सर्वे के दौरान सरकारी ज़मीनों का भी अलग खतियान तैयार किया जाएगा।
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