बिहार में नए खतियान पर अब बेटियों का भी नाम

पटना: बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से क्रांतिकारी फैसला लेते हुए बेटियों को पैतृक संपत्ति में भाइयों के समान अधिकार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब नए खतियान (भूमि रिकॉर्ड) में बेटियों का नाम भी दर्ज किया जाएगा। यह निर्णय न केवल लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में बेटियों की स्थिति को सशक्त बनाने की ओर भी अग्रसर है।

क्या है नया आदेश?

बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के दौरान विशेष निर्देश जारी किए हैं कि सभी राजस्व कर्मचारी अब पैतृक संपत्ति के रिकॉर्ड में बेटियों का नाम भी दर्ज करें। यह आदेश बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम 2011 के तहत लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत अधिकार अभिलेख (Record of Rights) में बेटा और बेटी दोनों का नाम लिखा जाएगा।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005

इस फैसले की नींव सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 की व्याख्या पर आधारित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि संयुक्त हिंदू परिवार की पैतृक संपत्ति में बेटियों को भी पुत्रों की तरह ही अधिकार प्राप्त हैं। इस कानून के अनुसार, 20 दिसंबर 2004 के बाद से सभी बेटियाँ भी 'को-पार्सनर' यानी सह-अधिकारिणी हैं और उन्हें भी संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा।

पुराने मामलों पर क्या होगा नियम?

यह कानून 20 दिसंबर 2004 के बाद के मामलों पर लागू होगा। यानी अगर किसी संपत्ति का बंटवारा इससे पहले हो चुका है, तो यह नियम स्वतः उस पर लागू नहीं होगा। हालांकि, यदि बंटवारा 2004 से पहले हुआ था और उसमें बेटी को हक नहीं मिला था, तो वह न्यायालय में केस दायर कर सकती है और न्याय प्राप्त कर सकती है।

बिहार में बदलता सामाजिक परिदृश्य

बेटियों को समान अधिकार देना केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है। बिहार जैसे राज्य में, जहाँ पारंपरिक रूप से बेटियों को संपत्ति में स्थान नहीं दिया जाता था, वहां यह निर्णय एक सकारात्मक सामाजिक बदलाव की ओर इशारा करता है।

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