शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन
कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा पर शिक्षकों की भर्ती संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 16 (सरकारी नौकरी में समान अवसर) और 21-ए (बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) का भी उल्लंघन करती है।
योग्यता आधारित चयन की वकालत
फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति केवल खुली, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के माध्यम से ही होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सबसे योग्य शिक्षक ही नियुक्त हों। कोर्ट ने कहा कि केवल न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता होना पर्याप्त नहीं है, वास्तविक योग्यता का मूल्यांकन एक निष्पक्ष प्रतियोगी प्रक्रिया से ही किया जा सकता है।
शासनादेशों की वैधता पर सवाल
वर्ष 2000 और 2013 में जारी शासनादेशों में अनुकंपा नियुक्ति के तहत सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती की अनुमति दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने पाया कि ये आदेश डाइंग इन हार्नेस रूल्स, 1999 के नियम 5 के विपरीत हैं। इसके अलावा, इन आदेशों के तहत उन पदों पर भी नियुक्ति की जा रही थी, जो अनुकंपा के दायरे में आते ही नहीं।
सार्वजनिक भागीदारी की कमी
कोर्ट ने टिप्पणी की कि अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया केवल सीमित संख्या में लोगों को अवसर देती है और इसमें पारदर्शिता तथा सार्वजनिक भागीदारी नहीं होती। इससे अधिक योग्य और सक्षम उम्मीदवारों को मौका नहीं मिल पाता, जो शिक्षा व्यवस्था के लिए हानिकारक है। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए शिक्षक चयन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।
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