1960 से 1962 तक के दस्तावेज गायब
इस घोटाले की जांच में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि जिला निबंधन कार्यालय से 1960, 1961 और 1962 के कई दस्तावेज गायब हैं। डीएम ने स्पष्ट किया कि गायब दस्तावेजों के रिकॉर्ड नंबर का दुरुपयोग करते हुए भू-माफियाओं ने जमीन की फर्जी रजिस्ट्री की।
कहां की है जमीन?
मामला भगवान बाजार थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामनगर राज (छावनी) की जमीन का है, जो ऐतिहासिक रूप से रामनगर चंपारण स्टेट की मानी जाती है। जमीन का मालिकाना हक राजा मोहन विक्रम साह उर्फ रामराजा के नाम दर्ज था। जमीन की मूल रजिस्ट्री 1901-1902 में हुई थी, जिसे रजिस्टर टू में दर्ज किया गया था।
अरबों की जमीन का हेरफेर
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यह जमीन वर्तमान समय में अरबों की कीमत की है। इतने महंगे भूखंड पर जब फर्जीवाड़ा सामने आया, तो पूरे जिले में हड़कंप मच गया। जांच में यह भी पाया गया कि 20 से अधिक अलग-अलग लोगों को यह जमीन बेची गई, वो भी एक ही दस्तावेज के आधार पर।
डीएम ने की त्वरित कार्रवाई
सारण के डीएम ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल जांच कमिटी का गठन कर दिया है और 28 अप्रैल तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। डीएम ने जिला अवर निबंधक को भी निर्देशित किया है कि वे मिसिंग दस्तावेजों की सूची एक माह के अंदर तैयार करें और उसे नगर निगम व अंचल कार्यालयों को सौंपें।
भविष्य में फर्जीवाड़ा रोकने की तैयारी
प्रशासन अब सतर्क हो चुका है। डीएम ने निर्देश दिया है कि संदिग्ध दस्तावेजों पर निगरानी रखी जाए और एक ही दस्तावेज का बार-बार उपयोग करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
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