राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिला समाहर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने अधीन अधिकारियों अपर समाहर्ता, राजस्व अधिकारी, भू-अर्जन पदाधिकारी, डीसीएलआर और सीओ को यह जिम्मेदारी सौंपें कि वे तत्काल प्रभाव से सरकारी जमीनों का पूरा ब्योरा विभाग को भेजें।
हर जमीन की होगी गिनती और पहचान
इस विशेष सर्वे में हर सरकारी जमीन की किस्म, रकबा, खाता संख्या, खेसरा संख्या और उसका स्वामित्व वर्ष के आधार पर ब्योरा तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही यदि कोई जमीन लाभार्थियों को घर निर्माण या अन्य योजनाओं के तहत दी गई है, तो उसका भी पूरा विवरण देना होगा — जैसे लाभार्थी का नाम, उसके पिता का नाम, खाता-खेसरा संख्या और आवंटन का वर्ष।
भविष्य की गड़बड़ियों पर लगेगा ब्रेक
विभाग का कहना है कि सरकारी जमीनों को लेकर अब तक की सबसे बड़ी समस्या रिकॉर्ड की पारदर्शिता और अद्यतन जानकारी की कमी रही है। इसीलिए अब पूरे रिकॉर्ड को डिजिटल फॉर्मेट में संरक्षित किया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार की हेराफेरी या अवैध कब्जे पर त्वरित कार्रवाई संभव हो सके।
अवैध कब्जेदारों पर गिरेगी गाज
सरकार का यह अभियान साफ संकेत दे रहा है कि जिन लोगों ने बिना अनुमति सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, उनके खिलाफ अब सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभागीय सूत्रों की मानें तो सरकार इस सर्वे के जरिए एक ऐसा मजबूत डाटाबेस बनाना चाहती है, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की योजनाओं और जमीन आवंटन में भी कारगर साबित हो।
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