सर्वे के दौरान साक्ष्य की आवश्यकता
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निर्देशानुसार, सरकारी अधिकारी और कर्मी रैयतों की जमीनों के कागजात की जांच में जुटे हैं। सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, के अनुसार, यदि रैयत अपनी जमीन को निजी साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं करता है, तो उसकी जमीन अस्थायी रूप से सरकारी भूमि के रूप में दर्ज हो सकती है। इसके लिए रैयत को अपनी जमीन का साक्ष्य प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
साक्ष्य के रूप में क्या-क्या दस्तावेज हो सकते हैं?
यदि किसी के पास खतियान (भूमि के कागजात) नहीं है, तो उसे अन्य साक्ष्य पेश करने होंगे। इसमें सबसे पहले रसीद का होना जरूरी है। रसीद के अभाव में वंशावली (वंश के विवरण) प्रस्तुत की जा सकती है, जो यह साबित करती है कि यह जमीन उसके परिवार की संपत्ति है। इन साक्ष्यों के आधार पर ही विभाग यह निर्णय करेगा कि जमीन निजी है या नहीं।
साक्ष्य नहीं मिलने पर सरकारी भूमि में तब्दील
यदि किसी रैयत द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य अपर्याप्त होते हैं या कोई साक्ष्य नहीं मिलता है, तो संबंधित पदाधिकारी वर्तमान दखलदार के नाम से उस भूमि का कब्जा दर्ज करेंगे और उसे बिहार सरकार के रैयती खाते में शिफ्ट कर देंगे। इससे वह जमीन अस्थायी रूप से सरकारी संपत्ति मानी जाएगी।
आपत्ति का अधिकार और पुनः दावा करने की प्रक्रिया
यह एक अस्थायी कदम है, और इसका मतलब यह नहीं है कि जमीन हमेशा के लिए सरकार की हो जाएगी। रैयत को अपनी जमीन के बारे में आपत्ति जताने का अवसर दिया जाएगा। विभागीय प्रक्रिया के तहत, रैयत को तीन बार अपनी आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार होगा। यदि रैयत सही साक्ष्य प्रस्तुत करता है, तो भूमि को पुनः उसके नाम पर वापस कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में रैयत को अपनी जमीन की निजी स्वामित्व को साबित करने का पूरा मौका मिलेगा।
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